एम्स में ख़ाली हैं हज़ारों पद, बेरोज़गार हिन्दू मुस्लिम डिबेट में मस्त हैं- Ravish Kumar

भारत के सभी 6 एम्स में 1 जनवरी 2018 तक 1830 फैकल्टी होने चाहिए थे। मगर 704 फैकल्टी ही हैं। पढ़ाने वाले शिक्षक डाक्टरों की भी भयानक कमी है।

New Delhi, May 12 : देश के 6 एम्स में नॉन फैकल्टी के 18,454 पद ख़ाली हैं। अगर सरकार ने इन चार सालों में भर्ती की होती तो आज 18000 से अधिक बेरोज़गारों को नौकरी मिल गई होती। संसद की स्थाई समिति की यह रिपोर्ट है। जिसमें कहा गया है कि एम्स में नॉन फैक्टी के लिए 22, 656 पद मंज़ूर हैं मगर मात्र 18 फीसदी पदों पर ही लोग बहाल हैं यानी 2548 लोग काम कर रहे है। नॉन फैकल्टी यानी जिन्हें पढ़ाने के अलावा दूसरे काम करने होते हैं।

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भारत के सभी 6 एम्स में 1 जनवरी 2018 तक 1830 फैकल्टी होने चाहिए थे। मगर 704 फैकल्टी ही हैं। आप देख सकते हैं कि पढ़ाने वाले शिक्षक डाक्टरों की भी भयानक कमी है।
संसद की स्थाई समिति ने दुख ज़ाहिर किया है कि तमाम उपकरण हैं, सुविधाएं हैं मगर फिर भी लोगों की कमी के कारण मरीज़ों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। यह सरकार स्वास्थय बीमा के नाम पर गोलीबाज़ी करने वाली है। लेकिन अस्पताल जो बने हैं उन्हें ही सुचारू रूप से चलाने के लिए भर्ती नहीं कर रही है। जब अस्पताल ही नहीं होंगे तो इलाज क्या बीमा एजेंट करेगा।

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पटना एम्स का हाल देखिए। यहां 305 फैकल्टी होने चाहिए मगर सिर्फ 52 से काम चल रहा है। 253 पद ख़ाली हैं। भोपाल एम्स में भी फैकल्टी के 172 पद ख़ाली हैं। Aiims2जोधपुर एम्स में 167 पद ख़ाली हैं। संसद की स्थाई समिति ने कहा है कि सभी खाली पदों पर तुरंत भर्तियां की जाएं ताकि मरीज़ों को राहत पहुंचे और दिल्ली एम्स पर दबाव कम हो।

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बेरोज़गारों अपने लिए रोज़गार मांगों। सरकारों के पास बहुत पद ख़ाली हैं। रोज़गार भी मांगो और पेेशन भी मांगो। AIIMSइतिहास के नाम पर हिन्दू मुस्लिम डिबेट का नेशनल सिलेबस नौकरी पाने के बाद पढ़ लेना। पहले कमाने का इंतज़ाम कर लो।

(NDTV से जुड़ें चर्चित वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)