रेल चाहे सरकती रहे, प्रमोट हो गए पीयूष गोयल, मिला वित्त का प्रभार- Ravish Kumar
सवाल है मोदी सरकार में दो दो रेल मंत्री डाइनैमिक हुए। सुरेश प्रभु और पीयूष गोयल। फिर भी ट्रेनों के चलने का ऐसा रिज़ल्ट क्यों है?
New Delhi, May 15 : 14 मई की शाम 8 बजे के आसपास 68 फीसदी ट्रेनें लेट चल रही थीं। railradar.railyatri.in पर भारतीय रेल की यह स्थिति काफी शर्मनाक लग रही थी। शाम 8 बजे से लेकर 9 बजे के बीच कुछ ट्रेनों का हाल भी देख लीजिए। हो सकताा है अब इनमें कुछ बदलाव हो गया हो मगर उस वक्त इनके लेट होने की क्षमता देखिए फिर मंत्रियों की छवि बनाने के पीछे जो पी आर हो रहा है उसे समझिए। सवाल है मोदी सरकार में दो दो रेल मंत्री डाइनैमिक हुए। सुरेश प्रभु और पीयूष गोयल। फिर भी ट्रेनों के चलने का ऐसा रिज़ल्ट क्यों है। अब बताइये रेल मंत्री कब वित्त मंत्री का काम देखेंगे और वित्त मंत्री कब रेल मंत्री का काम देखेंगे। क्या इतना आसान है इन दोनों मंत्रालयों को चलाना।
01453 पुणे गोरखपुर स्पेशल 13 मई को खुलने वाली थी। अभी तक नहीं खुली। 24 घंटे 45 मिनट की देरी हो चुकी थी।
02172 जम्मूतवी CSTM मुंबई। 13 मई की सुबह 7:30 बजे खुलनी थी। 14 मई की सुबह 11 बजे खुली। 27 घंटे 35 मिनट लेट। 29 घंटे की देरी से चल रही थी।
07006 रक्सौल से हैदराबाद। खुलनी थी रात के 1:30 बजे, खुली 14 मई की दोपहर 1 बजे। 11:30 घंटे लेट। 18 घंटे 47 मिनट की देरी से चल रही थी
12332 हिमगिरी एक्सप्रेस 13 मई की रात 10:45 बजे खुलनी थी। खुली 14 मई की दोपहर 1 बजे। 14 घंटे 15 मिनट लेट। 16 घंटे की देरी से चल रही थी।
जब हम यह सब देख ही रहे थे कि खबर आई कि रेलमंत्री पीयूष गोयल को वित्त मंत्रालय का प्रभार मिला है। मगर रेल बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी से उम्मीद की जा सकती है कि वे रेल को समय पर ला ही देंगे।
रेल सीरीज़ से पहले ही ट्रैक मैन और लोको पायलट की बिरादरी के संपर्क में आ गया था। एक लोको पायलट ने बताया कि केबिन में शौचालय नहीं होता है। ट्रेन रूकती है तभी कहीं जा सकते हैं। पखाना और पेशाब रोकते रोकते कई तरह की बीमारी हो जाती है। हमने तो इस एंगल से कभी सोचा भी नहीं था।
14 से 17 मई तक लोको पायलट मुण्डी गरम प्रदर्शन कर रहे हैं। बिना एसी के केबिन में गाड़ी चलाने से उनकी मुण्डी गरम हो जाती है। वे केबिन में एसी लगाए जाने की मांग कर रहे हैं, जिसका प्रावधान बजट में किया गया है। ऐसा उनका कहना है। यही नहीं लोको पायलट संघ के नेताओं की मानें तो इस वक्त 15,000 रेल ड्राईवर कम हैं। एक लाख की जगह 85,000 से ही काम चल रहा है। नतीजा यह हो रहा है कि एक ड्राईवर को काफी लंबे समय के लिए गाड़ी चलानी पड़ रही है। कई बार सप्ताह में मिलने वाली एक छुट्टी भी नहीं मिलती है। सातवें वेतन आयोग के अनुसार उन्हें यात्रा भत्ता भी नहीं दिया जा रहा है। लोको पायलट काफी तनाव में हैं।
रेलवे ने करीब एक लाख वेकेंसी निकालने का एलान किया। फार्म भी भरे गए। मगर इम्तहान की तारीख अभी तक नहीं निकली है। वो कब निकलेगी? नियुक्ति पत्र क्या 2019 के बाद दिए जाने का प्लान है?