कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस की सरकार बनने दे बीजेपी

ऐसी परिस्थितियों में राज्यपाल की भी अग्निपरीक्षा है, क्योंकि एक तरफ सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी बीजेपी है।

New Delhi, May 16 : यह सही है कि कर्नाटक में जनता ने कांग्रेस को खारिज कर दिया है और उसकी समाज को बांटकर राज करने की नीति बैकफायर कर गई है, लेकिन भारतीय संविधान की स्थिति ऐसी है कि उसमें दो हारने वाले दल मिलकर यदि बहुमत प्राप्त करने की स्थिति में हों, तो वे सरकार बना सकते हैं।

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ऐसी परिस्थितियों में राज्यपाल की भी अग्निपरीक्षा है, क्योंकि एक तरफ सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी बीजेपी है, जिसके पास फिलहाल प्रत्यक्ष तौर पर बहुमत नहीं दिखाई दे रहा और दूसरी तरफ़ चुनाव हारने वाली कांग्रेस और जेडीएस हैं, जिनके पास मिलकर सरकार बनाने के लिए पर्याप्त बहुमत दिखाई दे रहा है।
अब परिदृश्य तभी बदल सकता है, जब या तो कांग्रेस या जेडीएस के कुछ विधायक बीजेपी से मिल जाएं या फिर पूरा जेडीएस ही कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने से पीछे हट जाए और बीजेपी के साथ साझा सरकार बनाने की इच्छा व्यक्त करे। दूसरी परिस्थिति संभव नहीं लगती। इसलिए बीजेपी के हक में यदि पहली परिस्थिति संभव होती है, तो मेरा मानना है कि राजनीतिक शुचिता के लिहाज से यह अच्छा नहीं कहा जाएगा।

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लोकतंत्र में हम किसी से सहमत या असहमत हो सकते हैं, किसी के समर्थक या विरोधी भी हो सकते हैं, लेकिन राजनीति में शुचिता बनाए रखने की ज़िम्मेदारी सबकी है। congress JDSइसलिए बेहतर होगा कि बीजेपी इस वक्त कांग्रेस और जेडीएस की सरकार बनने दे। हाल फिलहाल बीजेपी ने भी गोवा, मणिपुर और मेघालय जैसे छोटे राज्यों में अन्य दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई है, जबकि उन राज्यों में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी थी।

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हालांकि मेरा यह भी मानना है कि कर्नाटक में जो जनादेश आया है, उसमें आज नहीं तो कल बीजेपी की सरकार बनकर रहेगी। shah modiकांग्रेस और जेडीएस की सरकार पांच साल नहीं चल पाएगी, क्योंकि पांच साल तक इन पार्टियों के विधायक अटूट नहीं रह पाएंगे। ऐसी स्थिति में अगर बीजेपी अभी सरकार बनाने का दावा छोड़ भी देती है, तो कुछ समय बाद वहां उसकी सरकार अवश्य बन सकती है।

(वरिष्ठ पत्रकार अभिरंजन कुमार के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)