गोदी मीडिया से ज़्यादा बड़ा खतरा ये Rubbish मीडिया है

जिस तरह गोदी का मोदी से मिलना इत्तेफाक है उसी तरह Rubbish मीडिया का इस नाम से मिलते-जुलते पत्रकार से मिलना भी इत्तेफाक है।

New Delhi, May 17 : मेरी आप सबसे गुज़ारिश है कि वैचारिक तौर पर बेईमान और मक्कार मीडिया के लिए आज से सिर्फ Rubbish Media शब्द का इस्तेमाल करें। क्योंकि गोदी मीडिया से ज़्यादा बड़ा खतरा ये Rubbish मीडिया है।
कुछ साथियों ने एतराज़ किया है इसलिए साफ कर रहा हूं कि Rubbish मीडिया का इसी नाम से मिलते-जुलते पत्रकार से कोई लेना देना नहीं है। वैसे ही जैसे गोदी मीडिया का मोदी मीडिया से कोई लेना देना नहीं है। जिस तरह गोदी का मोदी से मिलना इत्तेफाक है उसी तरह Rubbish मीडिया का इस नाम से मिलते-जुलते पत्रकार से मिलना भी इत्तेफाक है।

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सवाल ये है कि इस नाम की ज़रूरत क्यों पड़ी, तो वो भी साफ कर देता हूं। वो इसलिए क्योंकि अगर आपको ये लगता है कि जो पत्रकार सरकार के प्रति आप जितने ज़हर और नफरत से रिपोर्ट नहीं कर रहा है वो सरकार के हाथों बिका हुआ है media indiaउसी तरह ये भी माना जा सकता है कि जो पत्रकार निजी खुन्नस के चलते पूर्वाग्रहों से ग्रसित होकर रिपोर्टिंग करता है वो भी पत्रकारिता के नाम पर बकवास यानि Rubbish कर रहा है।

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अगर आपको ये लगता है कि हर वक्त और हर मामले पर सरकार की खिलाफत कर आप एजेंडा नहीं चला रहे बल्कि अपनी conviction के चलते ऐसा कह रहे हैं, Political Party1तो ये भी मानिए जिनमें सरकार के प्रति आप जितना ज़हर नहीं भरा वो भी अपनी conviction से ही ऐसा कर रहा है।

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आपने ऐसा क्यूं मान लिया कि जो-जो आप जितना ज़हरीला नहीं तो वो बिका हुआ है। अपनी पवित्रता का ग़ुमान इंसान को लीचड़ बना देता है। और जब-जब वो दुनिया को वो बुरा कहता है (गोदी मीडिया-गोदी मीडिया) तो वो इस बुरी दुनिया पर दुखी नहीं होता, बल्कि दुनिया को बुरा कह वो ये बताने की कोशिश करता है कि देखो, दुनिया इतनी बुरी है और इस बुरी दुनिया के बीच मैं कितना पवित्र, कितना महान, कितना श्रद्धेय! खुद को बार-बार श्रद्धेय साबित करने की ये बेचैनी इंसान को और लीचड़ और Rubbish बना देती है। इसलिए ऐसे पत्रकारों के लिए, ऐसी सोच वालों के लिए Rubbish मीडिया शब्द सुझाया गया है। कृपया इसका इस्तेमाल करें और ऐसे पत्रकारों को उनका जायज़ हक दिलवाएं।

(पत्रकार नीरज बधवार के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)