कर्नाटक संग्राम : ये किसी दल के खिलाफ नही बल्कि जन के खिलाफ है

ये किसी दल के खिलाफ नही बल्कि जन के खिलाफ है, उस व्यवस्था के ख़िलाफ़ है जिसमे वोट के माध्यम से आपको भागीदारी करने का भ्रामक भरोसा दिया गया है।

New Delhi, May 18 : हे जनता,
हमारा सबसे बड़ा भोलापन ये है कि राजनीति जब भी अनैतिक हो नीचता करती है हमे लगता है ये एक दल ने दूसरे के साथ किया, इसमें हमारा क्या? हमको लग रहा है कि इतिहास में जो भी कुछ कांग्रेस ने गलत किया वो विपक्ष के विरुद्ध किया। आज भाजपा जो कुछ भी गलत कर रही वो तो कांग्रेस के पाप के बदले कर कांग्रेस से कर रही, सो गलत क्या?

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आपको नही लगता कि कितनी होंशियारी से राजनितिक दलों ने लोकतंत्र को आपस के दो घरानों का प्राइवेट मसला बना दिया है जिसमे जब भी जिस घराने को मौका मिलेगा वो तमाम लोकतांत्रिक संस्थाओं को गुलाम बना अपनी सरकार चलाएगा। आपको लग रहा ये सब कांग्रेस- भाजपा के खिलाफ है?  नही , ये जो कुछ भी इतिहास से लेकर वर्तमान तक होता आ रहा है ये किसी दल के खिलाफ नही बल्कि जन के खिलाफ है, उस व्यवस्था के ख़िलाफ़ है जिसमे वोट के माध्यम से आपको भागीदारी करने का भ्रामक भरोसा दिया गया है। ये सब कुछ जो हो रहा है उसमें नुकसान न कांग्रेस का हुआ न भाजपा का होना है बल्कि जो होना है वो उस व्यवस्था का होना है जहां आम आदमी को लोकतंत्र में महत्वपूर्ण बताने का ढोंग रचा गया है।

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जरा सोचिए, कब किस बदले वाली राजनितिक निर्णय के कारण कौन सा नेता भीख मांगने लगा है सड़क पे? क्या कांग्रेस के तानाशाही के समय भी कोई विपक्ष नेता आपको वृद्धा पेंशन या सरकारी राशन दुकान से चावल उठा माड़ भात खाते मिला?
क्या अभी भी कर्नाटक में कांग्रेस के रहते यदुरप्पा का कुछ घटा? क्या अब यदुरप्पा के cm रहते सिद्धारमईया सड़क पे आ जायेंगे? क्या मोदी जी के आने के बाद रॉबर्ट वाड्रा जेल गए? ये सब कुछ नही होना है।
ये सत्ता पाने की नूरा कुश्ती है जिसमे अब समय जितना आगे जा रहा है,साधन और संसाधन के अनुसार संस्थानों को उतना अधिक गुलाम बना उनसे काम लिया जा रहा।

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कल कांग्रेस ने लिया, आज भाजपा उनसे ज्यादा ले रही, कल जो आयेगा वो इससे भी ज्यादा लूट करेगा और संस्थाओं को तहस नहस करेगा।
सब अपने पीछे के इतिहास का तार्किक दिखने वाले उदाहरण का कुतर्क देंगे और इसे फलना दल के खिलाफ राजनितिक बदला बता लोकतंत्र से खेलेंगे।
आपको क्या लगता है ये जो कुछ भी हो रहा उससे कांग्रेस या अन्य किसी दल को बचैनी होगी क्या? नही होगी।
क्योंकि उसे तो पता है कि आगे जब भी कभी वो आएगी तो उसे अब इससे भी आगे का पाप करना का रास्ता मिल गया।

आज तक 70 साल में किसी दल के कारण किसी नेता के पाप का अंत हो गया हो, ये उदाहरण ला के दिखाईये? ये सब बारी बारी से लूटने की तैयारी है। कांग्रेस चूँकि खेल में अकेले मजे ले रही थी दशकों से इसलिए भाजपा थोड़ा आक्रामक हो कम बॉल में ज्यादा के औसत से रन बनाने को खेल रही। उसे कांग्रेस के खरबों की लूट के बदले कम समय में उससे ज्याफ खरब बनाना है।
सोचिये, जो लोग कल तक jnu में पढ़ने वालों और एक थाली खाने वाले आपके बेटे बेटियों से प्रश्न पूछ रहे थे कि हमारे टैक्स का पैसा फ्री में खाते हो? वे अब 100 करोड़ में एक बकरा खरीदने वाले कसाई से क्यों नही पूछते कि ये पैसा क्या तुम्हारे दादा ने वडनगर में ढोकला बेच के जमा किये थे? ये हमारे टैक्स का पैसा नही?

आपको पता है कि कांग्रेस भाजपा के खेल खेल में आपके सामने आपसे ही वोट के महत्व को किनारे करने की सहमति ले ली राजनितिक दलों ने। अब आप किसको वोट देते हैं, ये बहुत मायने नही रखता, आज भाजपा खरीद के सरकार बना रही, कल मौका मिला तो कांग्रेस बना लेगी खरीद के। कितनी चालाकी से आपके सामने ही आपसे सरकार बनाने की भूमिका छीन ली गयी और आप पूरे खेल को बस कांग्रेस के खिलाफ महाभारत का बदला देख रहे।
कितने शातिर तरीके से आपके पवित्र ग्रंथ गीता और रामायण के श्लोक ये दोगली राजनीती अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल कर रही और खुद आप अपने से खोज खोज उनको श्लोक दे रहे उनकी नीचता को न्यायपूर्ण और औचित्यपूर्ण दिखाने के लिए।

आप सोच रहे हैं कि क्या, आज तक सुप्रीम छोड़िये, किसी भी निचले ऊपरी कोर्ट का दरवाजा आम आदमी के लिये खुला है अपने रूटीन समय से एक पल भी ज्यादा? क्या आज तक किसी गरीब के लिए ये न्यायालय जागा है रात को, अरे ये दिन में भी ऊंघता है आम आदमी के केस पर।
पर कांग्रेस खटखट की तो दरवाजा खोला और अदब से बता दिया की अभी तो वर्तमान राजा के साथ हूँ, कल जब आप हो जाओ तो इसी सेवाभाव से आपका भी रहूँगा। बस कांग्रेस लौट आयी।
अरे जनता, हमलोग लुट रहे हैं।अंग्रजों के नाम पे कांग्रेस का पाप, फिर कांग्रेस का दिखा के भाजपा का पाप, फिर यही दिखा आगे किसी दूसरे का पाप कितना झेलोगे?
ये सब मिल हमसे हमारे अधिकार और जनतंत्र में हमारे महत्वपूर्ण होने का आधार छीन रहे हैं, लोकतंत्र में लोक के ही अस्तित्व को खत्म करना चाहते हैं जिसमे जब भी कोई नेता आये, दल आये वो बेफ़िक्र हो राजतंत्र चला सके और हम आप बस इनके कार्यकर्त्ता बन लड़ रहे हो? अरे ये 70 साल से हमे कोशिश कर आज सफल हो रहे, इन्हें रोको। हम जनता न रहे,ये हमे प्रजा बना रहे। जय हो।

(नीलोत्पल मृणाल के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)