उफ़्फ़ ये इफ़्तार पार्टियां !
अखबारों, पत्रिकाओं और मीडिया में ऐसी इफ़्तार पार्टियों की तस्वीरें देखकर क्या आपको वितृष्णा नहीं होती है ?
New Delhi, May 29 : सबको पता है कि रमज़ान के दौरान किसी भी सियासी दल के राजनेताओं द्वारा आयोजित इफ़्तार पार्टियों का उद्देश्य जनकल्याण या वंचितों की पीड़ा में उनकी सहभागिता नहीं होती है। इनका मकसद शुद्ध राजनीतिक होता है। इन बड़ी-बड़ी इफ़्तार पार्टियों में शायद ही किसी नेता की हलाल की कमाई के पैसे लगे होते हैं। उनमें या तो रिश्वत और घोटालों के पैसे लगते हैं या उन्हें खुश करने के लिए उनके दलाल और बड़े-बड़े ठीकेदार इन आयोजनों में अपनी पूंजी लगाते हैं।
रोज़े का उद्धेश्य आत्मशुद्धि के अलावा अभावग्रस्त लोगों की भूख और प्यास का अहसास करना भी है। रोज़े में अगर आप कभी बड़ी इफ़्तार पार्टी का आयोजन करते हैं तो उसमें उन लोगों की हिस्सेदारी होनी चाहिए जिनके पास इफ़्तार के लिए साधन का अभाव है। हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहेवसल्लम का कथन है – ‘सबसे बेहतरीन दावत वह है जिसमे गरीबों को शामिल किया जाए।’ दुखद है कि पिछले कुछ दशकों से राजनेताओं द्वारा इफ़्तार पार्टियों के आयोजन अपने वैभव के प्रदर्शन और मुस्लिम वोट बैंक को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए किए जाने लगे हैं। क्या किसी सच्चे रोज़ेदार मुसलमान का हराम के पैसे और धर्म से इतर मक़सद के लिए आयोजित ऐसी इफ़्तार पार्टियों में शामिल होना रमज़ान के पवित्र उद्देश्य से भटकाव और इसीलिए हराम नहीं है ?
अखबारों, पत्रिकाओं और मीडिया में ऐसी इफ़्तार पार्टियों की तस्वीरें देखकर क्या आपको वितृष्णा नहीं होती है ? गरीबों का मज़ाक उड़ाने जैसी इन शानदार इफ्तार पार्टियों में सजधज कर भक्ति-भाव से पहुंचने वाले रोज़ेदार क्या सचमुच अपने मज़हब के पवित्र उद्देश्यों का मख़ौल नहीं उड़ा रहे होते हैं ? ऐसे लोग मुझे जोकर ही ज्यादा लगते हैं।
यक़ीन न हो तो तस्वीरों में ऐसे लोगों के चेहरों पर बड़े लोगों को अपना चेहरा दिखाने का उतावलापन या उनके साथ तस्वीर खिंचाते वक़्त कैमरे के सामने थोड़ी अकड़ के साथ उनकी बहुत सारी दयनीयता देख लीजिए ! थोड़े गुस्से के बावज़ूद निश्चित रूप से आपकी हंसी छूट जाएगी।