शिरडी वाले साईंबाबा, एक मूर्ति जिसका राज आप नहीं जानते, जानेंगे तो हैरान रह जाएंगे

बाबा की आसन पर बैठी हुई मूर्ति, उनकी खूबसूरत आंखें जिन्‍हे देखकर लगता है कि बस वो अपने भक्‍तों को कह रहे हों कि चिंता मत कर, मैं तेरे साथ ही होता हूं ।

New Delhi, Jun 14 : साईंबाबा के भक्‍त पूरे विश्‍व में हैं । साईं के भकत किसी खास धर्म को नहीं मानते, साईं की पूजा हर वर्ग का व्‍यक्ति करता है । साईं के वचन हैं, सबका मालिक एक है । साईं बाबा के दर पर जो भी मुरादें लेकर आता है वो जरूर पूरी होती हैं । लेकिन साईं बाबा से जुड़ी एक हैरान कर देने वाली बात है, शायद आप नहीं जानते लेकिन ये कहानी उनकी मूर्ति से जुड़ी हुई है । बाबा की आसन पर बैठी हुई मूर्ति, उनकी खूबसूरत आंखें जिन्‍हे देखकर लगता है कि बस वो अपने भक्‍तों को कह रहे हों कि चिंता मत कर, मैं तेरे साथ ही होता हूं ।

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साईं बाबा को लेकर विवाद
साईं बाबा के लिए लोगों की श्रद्धा का कोई पार नहीं । दुनिया भर में करोड़ों लोग हैं जो साईं की पूजा करते हैं । साईं मंदिर जाकर भक्ति करते हैं । लेकिन इसे लेकर एक सवाल भी हमेशा उठता रहा है कि क्‍या वाकई साईं भगवान थे । उनकी भक्ति का आधार क्‍या है । गाहे-बगाहे इसे लेकर चर्चा होती रहती है । साईं का जन्‍म बेहद साधारण परिवार में हुआ था, वो हमेशा लोगों के ही बीच रहे ।

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साई की मूर्ति से जुड़ी एक बात
साई की भक्ति पूरी दुनिया में होती है । ऐसे ही साई भक्‍त ने उनकी मूर्ति बनावाने के लिए एक खास तरह का मार्बल भिजवाया था । साईं की एक ही तरह की मूर्ति पूरी दुनिया में उनके मंदिरों में रखी हुई है । एक ही छवि, एक ही जैसी आंखें । बताया जाता है कि ये खास आसन वाली मूर्ति बनाने के लिए खास इटली से मार्बल आया था ।

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1954 से की जा रही है साईं भक्ति
1954 से लगातार साईं भक्ति की जा रही है । माना जाता था कि साईं अपने भक्‍तों से मिलने स्‍वयं चले आते थे । उसी दौर में किसी शिल्‍पकार को उनकी मूर्ति बनाने के लिए कही गई, लेकिन वो मूर्ति बनाता तो कैसे । तब उसे साईं को याद कर मूर्ति बनाने के लिए कहा गया । उस शिल्‍पकार ने मन में बसे साईं को देखकर संगमरमर में ये खूबसूरत मूर्ति उकेर दी ।

ऐसे बनी मनमोहक मूर्ति
साईं बाबा की मूर्ति को बनाने के लिए 1954 में मुंबई के बंदरगाह पर इटली से मार्बल आया था । आज तक यह नहीं पता चल सका है कि उस मार्बल को किसने भेजा था । संगमरमर पर सिर्फ इटली लिखा हुआ पाया गया था । इसके बाद ही साईं की मूर्ति को बनाने का काम वसंत तालीम को सौंपा गया । जिसपे साईं से उनकी प्रतिमा को बनाने के लिए प्रार्थना की, साईं की मनमोहक आसन वाली मूर्ति वसंत तालीम के लिए भी अचरज वाली बात थी । बताया जाता है कि साईं ने उन्‍हें खुद दर्शन दिए थे ।