मतलब इस देश में मुस्लिम से सवाल भी नहीं कर सकते जाँच अधिकारी?

जिस पासपोर्ट अधिकारी विकास मिश्र पर दुर्व्यवहार का आरोप लगा उसने ये दो नाम होने पर ही आपत्ति उठाई थी और सारे कागज अपने आला अफसर को भेजे थे।

New Delhi, Jun 25 : सनसनी में सामाजिक विग्रह न खडा करें .
तन्वी सेठ
नाम वोटर आईडी पर – तन्वी अनस
नाम आधार कार्ड पर – तन्वी अनस सिद्दीकी
नाम निकाहनामा पर – सादिया अनस सिद्दीकी
मतलब इस देश में मुस्लिम से सवाल भी नहीं कर सकते जाँच अधिकारी?

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बड़ा हल्ला हुआ कि लखनऊ में अंतरजातीय विवाह करने वाली महिला का पासपोर्ट नहीं बनाया ., मिडिया में मचे हलाले के अनुसार तन्वी सेठ ने वर्ष 2007 में मोहम्मद अनस सिद्दीकी से शादी की थी। उनकी छह साल की बेटी है। दोनों ने शादी के बाद से अपने नाम में कोई परिवर्तन नहीं किया। 19 जून को पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था। वह दस्तावेज की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए बुधवार को पासपोर्ट सेवा केंद्र पहुंचे थे। काउंटर ए और बी में साक्षात्कार के पहले दो चरणों पर सभी प्रक्रिया पूरी हुई। दस्तावेज को जमा करने के लिए वह काउंटर सी पर पहुंचे। अनस के मुताबिक मुझसे पहले मेरी पत्नी का नंबर आया और वह काउंटर सी 5 पर पहुंची। यहां तैनात अधिकारी विकास मिश्र दस्तावेज की जांच कर रहे थे। आरोप है कि जैसे ही तन्वी सेठ के आवेदन पर पति का नाम मोहम्मद अनस सिद्दीकी नाम देखकर वह चिल्लाने लगे। उन्होंने नाम बदलने को कहा, जिस पर तन्वी ने इंकार कर दिया।

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जबकि असलियत कुछ भिन्न है . असल में तन्वी ने जो निकाहनामा पेश किया था, उसमें उसका नाम मुस्लिम नाम शादिय अनस था- पर्सनल ला जानने वाले जानते हैं कि यदि कोई हिंदू लड़की किसी मुस्लिम से मुस्लिम रीती से विवाह या निकाह आक्रति है तो उसका धर्म परिवर्तन अनिवार्य होता है . महिला के धर्म परिवर्तन पर कलमा पाक पढवा कर नाम बदलवाया जता है .

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जिस पासपोर्ट अधिकारी विकास मिश्र पर दुर्व्यवहार का आरोप लगा उसने ये दो नाम होने पर ही आपत्ति उठाई थी और सारे कागज अपने आला अफसर को भेजे थे , न कि मामले को लटकाया था , यही नहीं विकास मिश्र खुद प्रगतिशील है और उन्होंने आज से बीस साल पहले अन्तरजातीय विवाह किया था . पासपोर्ट नियम में नाम और पहचान को ले कर बेहद सख्त निर्देश हैं उसमें स्पष्ट कॉलम होता है कि क्या आपने कभी अपना नाम बदला है ?
इस मामले में कई झोल हैं . आवेदक नोयडा की निवासी है और उसने गलत पते से लखनऊ से आवेदन किया .
विडम्बना यह है कि सारे मीडिया ने विकास मिश्रा या पासपोर्ट कार्यालय से उनका पक्ष जाना नहीं और सनसनी फैला दी, यह समय बेहद संवेदनशील है , ऐसे समय में एक गलत खबर और नफरत बढ़ाती है , पासपोर्ट तो बांटे और बिखरते रहेंगे लेकिन यदि धर्म के नाम पर किसी असली पंथ निरपेक्ष इंसान के साथ अन्याय हो गया तो हम किसी महत्वपूर्ण इंसान का वैचारिक संबल गँवा देंगे .

(पंकज चतुर्वेदी के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)