कश्मीर : धारा-370 को केन्द्र सरकार चाहे भी तो नहीं बदल सकती

कश्मीर : अगर इस कानून को बदलना है तो ये काम राज्य सरकार को ही करना होगा. राज्य की सरकार चाहे तो विधान सभा में एक संशोधन विधेयक लाकर इस कानून को बदल सकती है।

New Delhi, Jun 26 : अगर हम कश्मीर के बारे में वाकई चिंतित हैं तो चलिए आज एक और छोटी सी लेकिन महत्वपूर्ण बात पर गौर करते हैं. शर्त बस ये है कि पहले हम राष्ट्रव्यापी अफवाह-तंत्र से प्राप्त ज्ञान को थोड़ी देर के लिए भूल जाये. सबसे पहले तो हमें ये समझना होगा कि देश के अन्य हिस्सों का नागरिक जम्मू कश्मीर में ज़मीन नहीं खरीद सकता, इस पाबंदी को लगाने वाले कानून का धारा ३७० से कोई लेना देना नहीं है. ये कानून तो दो सौ साल पुराना है, तब का जब डोगरों ने कश्मीर अंग्रेज़ों से खरीदा था.

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धारा ३७० का बस इतना सा रोल है कि अगर केंद्र सरकार चाहे भी तो अपनी ओर से पहल करके ये कानून नहीं बदल सकती. अगर इस कानून को बदलना है तो ये काम राज्य सरकार को ही करना होगा. राज्य की सरकार चाहे तो विधान सभा में एक संशोधन विधेयक लाकर इस कानून को बदल सकती है.

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और मान्यवर, पिछले चार साल से तो आप वहां सरकार में थे. आपका उप- मुख्यमंत्री भी था. अगर आप सीरियस थे तो तब आपने ये काम क्यों नहीं किया. आपने तो कोशिश भी नहीं की. प्राइवेट मेंबर बिल ही ले आते, बिल को गिरने देते ओर तब सरकार से बाहर निकलते. तब तो हम मानते कि हाँ आप सीरियस हैं. पर चार साल में आपने ऐसा कुछ नहीं किया. इसीलिये न कि उस सूरत में आप जम्मू वालों को भी नाराज़ कर देते – वहां भी तो ये कानून लागू है. वो भी तो नहीं चाहते कि बाहर वाले वहां आकर बसने लगे. हम ये नहीं कह रहे कि ऐसा बिल लाकर आपको जम्मू में अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार लेनी थी. लेकिन बार बार ये बात उठाकर बाकी देश को बेवकूफ तो मत बनाओ. कानून हटाने की कोशिश भी नहीं करोगे ओर देश में शोर भी मचाओगे कि देखो ये कैसा कानून है कि आप जन्नत जैसी घाटी में ज़मीन भी नहीं खरीद सकते.

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ये ठीक है कि कांग्रेस भी वहां सरकार में रही ओर उसने भी ये कानून नहीं बदला. लेकिन कांग्रेस ने इस कानून को बदलने के नाम पर बाकी देश में वोट भी तो नहीं माँगा. इस नाम पर वोट तो साहेब आप ही मांगते हो.
और हाँ, ये कानून सिर्फ कश्मीर में ही थोड़े ही है. अंडमान निकोबार, नागालैंड, लक्षद्वीप, हिमाचल ओर एक हद तक उत्तराखंड में भी इसी तरह के कानून हैं जो बाकी देशवासियों को वहां ज़मीन खरीदने पर पाबंदी लगाते हैं. इसलिए इस कानून नाम पर लोगों को गुमराह करके वोट मांगना अच्छी बात नहीं है.
मित्रों, आज बस इतनी सी बात कहनी थी. बाकी फिर देखते हैं. कश्मीर समस्या का सिर्फ यही एक आयाम थोड़े ही है.

(वरिष्ठ पत्रकार प्रभात डबराल के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)