बोफोर्स-रॉफेल के बीच फर्क वीपी सिंह का है

बोफोर्स और रॉफेल में अब तक का सबसे बड़ा फर्क वीपी सिंह का है। तब राजा ही फकीर है, देश की तकदीर है के साथ वीपी ने इस आरोप पर राजीव गांधी को उखाड़ फेंका।

New Delhi, Sep 25 : बोफोर्स और रॉफेल के रक्षा सौदे में आपको बहुत समानता मिलेगी। राजीव गांधी भी प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में थे। शुरूआती सालों में उनकी इमेज मिस्टर क्लीन की थी। यही उनकी सबसी मजबूती थी। सबकुछ ठीक चल रहा था कि तभी बोफोर्स सौदा का घोटाला सामने आया। उनकी इमेज पर पहला दाग था। लेकिन इतना गहरा दाग लगा कि सबकुछ बहा ले गया। उस घोटाले की बात सबसे पहले विदेशी मीडिया से ही सामने आयी। और 1989 के आम चुनाव में यह सबसे बड़ा मुद्दा बना।

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ठीक उसी तरह बड़ी बहुमत से बनी मोदी सरकार के लिए अब तक सबसे बड़ा मजबूत तर्क था कि सरकार पर एक भी घोटाले के आरोप नहीं लगे थे। लेकिन रॉफेल ने इस धारणा को कमजोर किया। सबकुछ ठीक चल रहा था कि तभी यह मामला सामने आ गया है।

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दिलचस्प बात है कि इस घोटाले में बड़ा मोड़ विदेशी मीडिया में अा रही खबरों के माध्यम से ही हो रहा है। 2019 के आम चुनाव में इसका मुद्दा बनना तय है।
तो क्या नरेन्द्र मोदी के लिए रॉफेल राजीव गांधी का बोफोर्स मामेंट होगा?

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बोफोर्स और रॉफेल में अब तक का सबसे बड़ा फर्क वीपी सिंह का है। तब राजा ही फकीर है, देश की तकदीर है के साथ वीपी ने इस आरोप पर राजीव गांधी को उखाड़ फेंका। अद्भुद बात है कि इस बार वीपी सिंह की भूमिका लेने की कोशिश में राहुल गांधी है। लेकिन अभी के हिसाब से वीपी जैसा प्रभाव राहुल डाल पाएंगे इसमें अभी संदेह है।

(वरिष्ठ पत्रकार नरेन्द्र नाथ के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)