कभी बैट खरीदने को नहीं थे पैसे, अब सबसे ज्यादा रन बनाकर बना दिया महारिकॉर्ड, सचिन-गावस्कर सब छूटे पीछे

वसीम जाफर काफी प्रतिभाशाली थे, इसकी झलक उन्होने स्कूल क्रिकेट में ही दिखा दी थी, 15 साल की उम्र में उऩ्होने मुंबई के क्रिकेट सर्किट में 400 रनों की पारी खेली थी।

New Delhi, Nov 22 : टीम इंडिया के पूर्व सलामी बल्लेबाज वसीम जाफर जितने शांत दिखते हैं, उनके खेल में उतनी ही गहराई है, आज के ज्यादातर युवा क्रिकेटर आईपीएल को ही अपना सबसे बड़ा सपना मानते हैं, जबकि जाफर 40 की उम्र पार करने के बाद भी रणजी ट्रॉफी में रिकॉर्ड बना रहे हैं, वसीम जाफर रणजी इतिहास में 11 हजार रन बनाने वाले देश के पहले बल्लेबाज बन गये हैं, दूसरे नंबर पर उनकी टीम के ही अमोल मजूमदार हैं, जिनके नाम 9202 रन है, वो कब के रिटायर हो चुके हैं।

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गरीबी में गुजरा बचपन
टीम इंडिया के लिये 31 टेस्ट मैच खेल चुके वसीम जाफर का बचपन गुरबत में बिता है, पिता मुंबई में बस ड्राइवर थे, चार भाईयों में वसीम जाफर सबसे प्रतिभाशाली थे, बचपन से ही उनमें क्रिकेट के लिये जूनून था, लेकिन एक बस ड्राइवर के लिये क्रिकेट के महंगे साजो-सामान खरीदना आसान नहीं होता था, जाफर के साथ खेलने वाले और उन्हें ट्रेनिंग देने वाले कोच भी कहते थे, कि वो एक दिन भारतीय टीम के लिये खेलेंगे।

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बल्ला खरीदने तक के नहीं थे पैसे
वसीम जाफर के करीबियों का कहना है कि बचपन में उनके पास इतने भी पैसे नहीं होते थे, कि वो अपने लिये एक बल्ला खरीद सके, हालांकि जब उनके दोस्त और कोच उनकी तारीफ करते, तो उनके परिवार की हिम्मत बढती, जब भी जाफर को बल्ला या क्रिकेट के दूसरे सामान खरीदने होते, तो परिवार के लोग अपना जेब खर्च बचाते थे, ताकि उससे सामान खरीदा जा सके। कई महीने बचत करने के बाद जब रकम ज्यादा हो जाती, तो उससे बल्ला खरीदा जाता, इस तरह जाफर का बचपन बीता।

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स्कूल क्रिकेट में धाक
वसीम जाफर काफी प्रतिभाशाली थे, इसकी झलक उन्होने स्कूल क्रिकेट में ही दिखा दी थी, 15 साल की उम्र में उऩ्होने मुंबई के क्रिकेट सर्किट में 400 रनों की पारी खेली थी, जिसके बाद उनका चयन रणजी टीम के लिये हुआ, इससे पहले पॉली उमरीगर, विजय मर्चेंट, सुनील गावस्कर और सचिन तेंदुलकर भी ऐसा कारनामा नहीं कर सके थे।

अंतरराष्ट्रीय करियर
जाफर ने रणजी ट्रॉफी में अपनी टीम के लिये मुंबई से बाहर तिहरा शतक ठोका, जिसके बाद साल 2000 में उनका चयन टेस्ट टीम में किया गया, दक्षिण अफ्रीका दौरे पर उन्हें भेजा गया, जहां वो कुछ खास कमाल नहीं कर सके, इसके बाद वो कुछ समय तक टीम से अंदर-बाहर होते रहे, 8 साल के अंतरराष्ट्रीय करियर में उन्होने 31 टेस्ट मैच खेलकर 5 शतक और 11 अर्धशतकों के साथ करीब 2 हजार रन बनाये। उन्हें टीम इंडिया से बाहर हुए करीब 10 साल हो चुके हैं, लेकिन उन्होने अपने भीतर के क्रिकेट के जूनून को खत्म होने नहीं दिया, वो 40 साल की उम्र में भी घरेलू क्रिकेट खेल रहे हैं, रणजी ट्रॉफी में 11 हजार रन बनाने वाले वो एक मात्र बल्लेबाज बन गये हैं।