असल जिंदगी में ‘नायक’ बना 5 साल का बच्‍चा, विधायक की तरह कोतवाली में भरपूर खातिरदारी, लोगों की समस्‍या भी सुनी

बच्चे ने भी पूरे दिन विधायक की तरह लोगों की समस्याएं सुनी और इलाके का जायजा भी  लिया। बच्‍च जहां भी गया उसका पूरा सम्‍मान किया गया ।

New Delhi, Nov 30 : क्‍या आपने फिल्म ‘नायक’ देखी है, इस फिल्‍म में अनिल कपूर को एक दिन के मुख्यमंत्री के रूप में दिखाया गया है । कुछ इसी तरह एक 5 साल के बच्चे को भी एक दिन का विधायक बनाकर उसके और उसके माता-पिता को बड़ी खुशी देने की कोशिश हुई । फिल्‍मी स्‍टोरी से प्रेरित ये मामला भले ही कहानी जैसा लगे लेकिन ये सौ फीसदी सच है । एक दिन के विधायक इस बच्‍चे ने लोगों की समस्‍या भी सुनी और विधायक को मिलने वाली हर सुविधा का भी लाभ उठाया ।

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महोबा का मामला
मामला महोबा के चरखारी विधानसभा क्षेत्र का है । जहां से वर्तमान विधायक ब्रजभूषण राजपूत ने क्षेत्र के एक 5 साल के बच्‍चे को अपनी कुर्सी बर बैठाया और फिर बच्‍चे को अपनी गाड़ी, गनर और सचिव भी सौंप दिए । बच्चे ने भी पूरे दिन विधायक की तरह लोगों की समस्याएं सुनी और इलाके का जायजा भी  लिया। बच्‍च जहां भी गया उसका पूरा सम्‍मान किया गया । उसे फूल माला पहनाकर उसका स्‍वागत भी हुआ ।

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दिव्‍यांग है अरुण
5 साल का अरुण अहिरवार बचपन से ही दिव्‍यांग है । वो जन्म से ही बोल नहीं पाता है । अरुण के माता-पिता को उसके निकट भविष्य के लिए बहुत ही चिंता होती है । अरुण को इस तरह से देख कर खुशी से उनकी आंखें नम हो गईं। बच्‍चे को मिलता सम्‍मान देख मात-पिता की आंख के आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे । मासूम अरुण भी बेहद खुश था ।

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कोतवाली में आव-भगत
अपने बच्‍चे को सम्‍मान पाता देख उसके माता-पिता की आंखें भी खुशी से भर आईं । इलाके के छोटे विधायक ने चौपाल में बैठकर लोगों की समस्याएं सुनी, और उनकी याचिकाएं मंजूर की । अरुण को इसके बाद कोतवाली ले जाया गया । जहां तैनात दरोगा ने उसे  गोद में उठाकर कुर्सी पर बैठा दिया । कोतवाली में भी आवभगत की गई, अरुण को शिकायत निस्तारण रजिस्टर भी दिखाया गया ।

एक दिन के कमिश्‍नर से भी मिलिए
अरुण की ही तरह जयपुर में एक दिन के लिए गिरीश कुमार नाम के बच्‍चे को पुलिस कमिश्नर बनाया गया था । गिरीश सिर्फ 13 साल का था और उसकी दोनों किडनियों ने काम करना बंद कर दिया था। हरियाणा निवासी गिरीश बड़ा होकर पुलिस अफसर बनना चाहता था । उसकी इच्छा “मेक ए विश फाउंडेशन” नामक संस्था ने पूरी की । संस्था के लोगों ने जयपुर के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर जंगा श्रीनिवास राव को गिरीश की इच्छा बताई । कमिश्नर ने उसकी इच्छा पूरी की । गिरीश को कमिश्नर की वर्दी में ऑफिस लाया गया और उसने जवानों ने गिरीश को गॉर्ड ऑफ ऑनर दिया और कमिश्नर ने अपना चार्ज गिरीश को सौंप दिया। गिरीश की बात में एम्‍स अस्‍पताल में मौत हो गई थी ।