ऐसे बयानों से पूरा बिहार आहत होता है मगर शायद ही रहनुमाओं को लज़्ज़ा आती हो
कमलनाथ ने यह आरोप भी जड़ दिया कि बिहार और UP के लोग अधिकांश नौकरियां ले लेते हैं। यह कहना किसी CM के लिए उचित नही है।
New Delhi, Dec 20 : MP के नये CM कमलनाथ ने अपने प्रदेश के उद्योग-धंधों में 70 प्रतिशत नियुक्ति स्थानीय युवाओं के लिए आरक्षित कर दी है। उद्योगों को सरकारी सहायता तभी मिलेगी जब वे इस शर्त का पालन करेंगे। उन्हें अधिकार है, ऐसा करने का। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। प्रदेश के लोगों को अपने प्रदेश में रोजी-रोजगार मिले, इससे अच्छा और कुछ नहीं हो सकता।
लेकिन कमलनाथ ने यह आरोप भी जड़ दिया कि बिहार और UP के लोग अधिकांश नौकरियां ले लेते हैं। यह कहना किसी CM के लिए उचित नही है। बिहार के लोग किसी की कृपा या दया से MP में नौकरी नहीं पाते। वे अपनी प्रतिभा और योग्यता से अपनी जगह बनाते हैं।वे सिर्फ MP में ही नहीं पूरे विश्व में नौकरी करते हैं अपनी कूबत से अपनी बुद्धिमता से। बेहतर यह होता कि कमलनाथ यह कहते कि MP के युवा अपनी योग्यता साबित करें। बिहार और UP के युवाओं से ज्यादा योग्य बनें। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। क्योंकि युवाओं को रोजगार देने से ज्यादा उनकी मंशा अपनी राजनीति चमकाने की है।
कमलनाथ के इस बयान ने बिहारी नेताओं की योग्यता और क्षमता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। सवाल यह है कि यहां के सत्ताधारियों और नौकरशाहों ने राज्य में रोजगार के अवसर क्यों नहीं पैदा किये ? प्रचुर कृषि संपदा, जल संपदा, प्राकृतिक संपदा और मानव संसाधन के बाद भी रोजगार की दृष्टि से उनका विकास क्यों नहीं किया गया? बड़ी नौकरी तो बड़ी नौकरी यहां तो खेतिहर मजदूरों, रिक्सा चलानेवालों, फुटपाथी दुकानदारों को भी पेट भरने के लिए दूसरे प्रदेशों में जाना पड़ता है।
अच्छी पढ़ाई और बेहतर इलाज के लिए भी हमारे लोगों को बाहर जाना पड़ता है। यह कितने शर्म की बात है। रहनुमाओं की गलती का खामियाजा आम बिहारियों को भुगतना पड़ रहा है। कभी कोई शिव सेना, राज ठाकरे तो कभी शीला दीक्षित तो कभी अल्पेश ठाकोर हम बिहारियों को जलील कर देता है। ऐसी घटनाओं से पूरा बिहार आहत होता है मगर शायद ही रहनुमाओं को लज़्ज़ा आती हो।
जबतक बिहार में रोजगार के नए अवसर पैदा नहीं होंगे, हमें इसी तरह दुरदुराया जाता रहेगा।
(वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)