मायावती की पार्टी बसपा ने दिया बीजेपी को समर्थन, मचा सियासी तूफान

बीजेपी के सिर्फ 14 पार्षदों के बावजूद बाबा साहब को 37 पार्षदों का समर्थन मिला, एनसीपी के 18 और बसपा के 4 पार्षदों ने उनके पक्ष में वोट किया।

New Delhi, Dec 30 : महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा फेरबदल देखने को मिला है, जिसने ना सिर्फ कांग्रेस की मुश्किल बढा दी है, बल्कि कई लोगों को हैरान भी कर दिया है। दरअसल महाराष्ट्र में बीजेपी के बाबा साहब वकाले अहमदनगर से मेयर चुने गये हैं, उनके मेयर चुने जाने के पीछे एनसीपी और बसपा की बड़ी भूमिका बताई जा रही है, अहमदनगर में 68 पार्षद हैं, जिनमें से बीजेपी के सिर्फ 14 हैं, इसके बावजूद यहां से बीजेपी का मेयर जीता है।

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बसपा और एनसीपी का समर्थन
अहमदनगर में बाबा साहब 37 पार्षदों के समर्थन से यहां के मेयर चुने गये हैं, ध्यान देने वाली बात ये है कि बीजेपी के सिर्फ 14 पार्षदों के बावजूद बाबा साहब को 37 पार्षदों का समर्थन मिला, एनसीपी के 18 और बसपा के 4 पार्षदों ने उनके पक्ष में वोट किया, जिसकी वजह से वो मेयर चुने गये।

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नया सियासी गठबंधन
2019 के सियासी गठबंधन से पहले महाराष्ट्र के अहमदनगर ने एक नया सियासी गठबंधन दिया है, कांग्रेस को इस बात का भी डर सता रहा है कि कहीं लोकसभा चुनाव में भी इसी तरह के गठबंधन का सामना ना करना पड़े, आपको बता दें कि अहमदनगर में सबसे ज्यादा सीटें शिवसेना ने जीती थी, उनके खाते में 24 सीटें गई थी, बावजूद इसके बीजेपी उम्मीदवार मेयर चुना गया।

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कांग्रेस 5 सीटों पर सिमटी
अहमदनगर के निकाय चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 5 सीटों पर सिमट गई, मेयर की वोटिंग के दौरान भी सभी पार्षद नदारद थे, सूत्रों का दावा है कि एनसीपी के पार्षदों ने इशारा मिलने के बाद बीजेपी उम्मीदवार को वोट किया है, आपको बता दें कि महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी का गठबंधन है, पहले ही ऐलान किया जा चुका है, कि आगामी लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टी मिलकर चुनाव लड़ेगी, ऐसे में एनसीपी पार्षदों का बीजेपी उम्मीदवार को समर्थन करना कई सवाल खड़े कर रहा है।

बीजेपी-एनसीपी का गठजोड़
कांग्रेस नेता ने बताया कि अहमदगर में अगर शिवसेना का मेयर चुना जाता, तो अनिल राठौर मजबूत होते, एनसीपी किसी भी कीमत पर ये नहीं चाहती थी, राठोर बीजेपी के अहमदनगर सांसद दिलीप गांधी के विरोधी है, इसी वजह से एनसीपी से बीजेपी से समर्थन लिया, ताकि शिवसेना को रोका जा सके, यानी इस नये समीकरण से उद्धव ठाकरे भी परेशान हो सकते हैं, जो आये दिन बीजेपी पर दवाब बनाने के लिये बयानबाजी करते रहते हैं।