कमलनाथ का यू-टर्न, मामा के एक्शन के बाद आखिर बदलना बड़ा फैसला

विरोध बढता देख मुख्यमंत्री कमलनाथ ने यू-टर्न लेते हुए आदेश वापस ले लिया, सीएम का कहना है कि अब केवल सरकारी कर्मचारी नहीं बल्कि आम जनता भी वंदे मातरम गाएगी।

New Delhi, Jan 03 : एमपी में 2005 में तत्कालीन सीएम बाबू लाल गौर ने वंदे मातरम गाने की परंपरा शुरु की थी, सरकारी कर्मचारी महीने की पहली तारीख को कार्यदिवस पर राष्ट्रीय गीत गाया करते थे, लेकिन इस परंपरा को कमलनाथ ने सीएम बनने के बाद खत्म करने का आदेश दिया था, जिस पर बीजेपी ने कड़ी आपत्ति जताई थी, प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि वो इस मुद्दे पर आंदोलन करेंगे, साथ ही अमित शाह ने भी राहुल गांधी से पूछा था कि क्या ये उनका आदेश है।

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कमलनाथ ने लिया यू-टर्न
विरोध बढता देख मुख्यमंत्री कमलनाथ ने यू-टर्न लेते हुए आदेश वापस ले लिया, सीएम का कहना है कि अब केवल सरकारी कर्मचारी नहीं बल्कि आम जनता भी वंदे मातरम गाएगी, इसके लिये पुलिस बैंड का मार्च निकाला जाएगा, जिसमें आगे बैंड, उसके बाद कर्मचारी और आखिर में आम जनता रहेगी, जो वंदे मातरम गाएगी। ये कार्यक्रम हर महीने के पहले कार्यदिवस को आयोजित किया जाएगा।

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सियासत गर्म
आपको बता दें कि वंदे मातरम को लेकर विवाद की शुरुआत नये साल पर शुरु हुई, हर नवनिर्वाचित सीएम ने हर महीने की पहली तारीख को मंत्रालय में गाये जाने वाले वंदे मातरम को बंद करने का फैसला लिया, विपक्ष ने इस मुद्दे को भुनाते हुए आंदोलन करने की धमकी दी।

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क्या है परंपरा ?
मध्य प्रदेश में 2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने एक परंपरा की शुरुआत की थी, जिसके तहत सभी कर्मचारी महीने की पहली कार्यतिथि को परिसर में इकट्ठा होकर एक साथ मिलकर राष्ट्र गीत वंदे मातरम गाया करते थे, बाबू लाल गौर के बाद शिवराज सिंह चौहान ने भी इस परंपरा को जारी रखा।

शिवराज ने किया था विरोध
कमलनाथ के फैसले के बाद सूबे के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया था कि बीजेपी के सभी विधायक सचिवालय में इक्ट्ठा होकर वंदे मातरम गाएंगे, उन्होने कहा था कि हमारे सभी 109 विधायक 7 जनवरी को एमपी सचिवालय में वंदे मातरम गाएंदे, साथ ही बीजेपी कार्यकर्ताओं ने सचिवालय के बाहर सरकार के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन किया था।