जीवित हैं भगवान हनुमान, यहां मिला सुबूत, 41 साल बाद इस शख्स से मिलने आएंगे
हनुमान जी की मृत्यु के बारे में कोई प्रमाण नहीं लेकिन उनकी मौजूदगी के प्रमाण भी नहीं, लेकिन जानिए वो कहानी जिसके सच होने का दावा कर हनुमान जी के धरती पर एक बार फिर आने का दावा किया जा रहा है ।
New Delhi, Jan 04 : हनुमात्र एकमात्र ऐसे भगवान हैं जिनके कलियुग में भी जीवित होने की बात कही जाती है । हनुमान जी की मृत्यु के बारे में कोई प्रमाण नहीं लेकिन उनकी मौजूदगी के प्रमाण भी नहीं, लेकिन जानिए वो कहानी जिसके सच होने का दावा कर हनुमान जी के धरती पर एक बार फिर आने का दावा किया जा रहा है । एकमात्र जीवित देव के नाम से पुकारे जाने वाले महावीर हनुमान के बारे में जानिए वो बातें जिनके बारे में शायद आप ना जानते हों । जानिए हनुमान जी एक बार फिर धरती पर कब आने वाले हैं ।
अमर हैं बजरंग बली
महाबलि हनुमान एकमात्र ऐसे भगवान हैं जिन्हें अमर कहा जाता है । मान्यता है कि हनुमान आजभी हिमालय के जंगलों, कंदराओं में रहते हैं । हालांकि उनकी मौजूदगी के कोई प्रमाण अब तक नहीं मिल पाए हैं, वो अलग बात है कि उनकी मृत्यु के प्रमाण भी अब तक नहीं मिले हैं, ना ही शास्त्रों में उनके लुप्त होने या, ना होने के संबंध में कुछ लिखा गया हो । आगे जानिए उस एक कथा के बारे में जिसके अनुसार हनुमान आज भी हमारे आस-पास मौजूद हैं ।
इन लोगों से मिलने आते हैं हनुमान
कुछ समय पहले आई एक खबर के अनुसार श्रीलंका के जंगलों में ‘मातंग’ नाम की एक जनजाति रहती है । इस खास जनजाति के कबीलाई लोगों का कहना है कि आज भी उनसे मिलने हनुमान जी आते हैं । एक अंग्रेजी अखबार ने इन जनजातियों पर अध्ययन करने वाले आध्यात्मिक संगठन ‘सेतु’ के हवाले से इस सनसनीखेज खोज का खुलासा किया है ।
हर 41 साल में मिलने आते हैं हनुमान
इस रिपोर्ट के अनुसार हनुमान जी इस जनजाति के लोगों से साल 2014 में मिलने आए थे । वो दोबारा 41 साल बाद वो फिर से आएंगे । यानि साल 2055 में बजरंग बली अपने भक्तों से मिलने फिर से यहां आएंगे । ‘मातंग’ एक ऐसी जनजाति है जो श्रीलंका में बसे दूसरे कबीलों से बिल्कुल अलग है ।
रामायण काल से जुड़ा है इतिहास
जानकारी के अनुसार इस जनजाति के लोगों की संख्या बेहद कम है । सेतु नामक संगठन के मुताबिक, ‘मातंग’ समुदाय का इतिहास त्रेता युग से जुड़ा है । हिंदू धर्म शास्त्र के अनुसार हनुमान जी को वरदान मिला था कि उनकी मृत्यु कभी नहीं होगी । पुराणों के अनुसार भगवान राम के स्वर्ग गमन के बाद हनुमान जी अयोध्या से दक्षिण भारत के जंगलों में चले गए थे । जिसके बाद वो समंदर को दोबारा लांघकर श्रीलंका पहुंचे । उस काल में हनुमान जी जब तक वहां ठहरे, ‘मातंग’ जनजाति के कबीले ने ही उनकी खूब सेवा की । बताया जाता है कि उनकी इसी सेवा के बदले हनुमान जी ने कबीले के लोगों को ब्रह्मज्ञान का बोध कराया था, उन्होने कबीले के लोगों से वादा किया था कि वो हर 41 साल में उनसे मिलने भी आएंगे ।