गरीब सवर्णों को आरक्षण, मोदी सरकार की राह आसान नहीं, ये आ सकती है मुश्किलें

लोकसभा के पूर्व सचिव और संविधान विशेषज्ञ पीडीपी अचारी ने कहा कि बिल में ये बताना होगा, कि आर्थिक रुप से पिछड़े सवर्ण कौन हैं?

New Delhi, Jan 08 : मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बड़ा कदम उठाते हुए पिछड़े सवर्णों को आर्थिक आधार पर नौकरियों और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण देने को मंजूरी दे दी है, हालांकि अभी इस फैसले के कानून बनने में कई संवैधानिक अड़चनें हैं, अगर सरकार का ये फैसला लागू होता है, तो रिजर्वेशन की सीमा 50 फीसदी से ज्यादा हो जाएगी, जो संविधान के आदेश का उल्लंघन होगा, साल 1992 में इंदिरा साहनी बनाम भारत सरकार के केस में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए जाति आधारित रिजर्वेशन को पचास फीसदी तक सीमित कर दिया था, तब कोर्ट ने कहा था कि समानता के सिद्धांत को नुकसान पहुंचाने के लिये आरक्षण या प्राथमिकता के किसी नियम को प्रबलता से लागू नहीं किया जा सकता।

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वर्तमान आरक्षण स्थिति
आपको बता दें कि मौजूदा आरक्षण स्थिति में ओबीसी को 27 फीसदी, अनुसूचित जाति (एससी) को 15 फीसदी और अनुसूचित जनजाति (एसटी)- को 7.5 फीसदी आरक्षण मिलता है, सबको जोड़ने पर 49.5 फीसदी आरक्षण का प्रावधान है, यदि केन्द्र सरकार गरीब सवर्णों को आरक्षण का फैसला लागू करती है, तो ये आंकड़ा 60 फीसदी के करीब पहुंच जाएगा।

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आर्थिक पिछड़ापन
मोदी सरकार का इरादा है कि जो सवर्ण आर्थिक रुप से पिछड़े हैं, उन्हें भी मुख्य धारा में लाया जाए, इसके लिये उन्हें 10 फीसदी आरक्षण दिया जाए, हालांकि अभी ये साफ नहीं हो पाया है कि सरकार इस फैसले को आर्थिक पिछड़ेपन का कैसे साबित करेगी, मीडिया में जो भी खबरें चल रही है, वो सूत्रों के अनुसार है, यानी वो महज एक अंदाजा है कि जिन परिवारों को सलाना आय 8 लाख से कम होगा, उन्हें आरक्षण का फायदा दिया जाएगा।

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बिल में बताना होगा कौन हैं आर्थिक पिछड़े
लोकसभा के पूर्व सचिव और संविधान विशेषज्ञ पीडीपी अचारी ने कहा कि बिल में ये बताना होगा, कि आर्थिक रुप से पिछड़े सवर्ण कौन हैं, यदि आरक्षण की सीमा 50 फीसदी को पार करती है, तो संसद में उसे संविधान संशोधन के जरिये पास कराना होगा, इसके बाद न्यायपालिका के दायरे में आने से बचाने के लिये संविधान की नौंवी अनुसूची में डालना होगा।

तमिलनाडु में 69 फीसदी आरक्षण
आपको बता दें कि तमिलनाडु में विधानसभा ने तमिलनाडु पिछड़ा वर्ग, एससी और एसटी को लेकर 1993 में कानून पास किया था, जिसकी वजह से आरक्षण की सीमा 69 फीसदी तक पहुंच गई है। साल 2011 में बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने सवर्ण पिछड़ा आयोग बनाया है, इस आयोग का काम गरीब सवर्णों को आरक्षण देने के तरीकों को अध्ययन करना है। संविधान के अनुसार जिन परिवारों की सलाना आय एक लाख रुपये से कम है, और वो एससी-एसटी या ओबीसी में नहीं आते हैं, तो वो आर्थिक रुप से पिछड़े माने जाएंगे।