पत्नी से फोन पर बात करना चाहते थे शास्त्री जी, लेकिन पाक की वजह से कर दिया मना, आखिरी रात का पूरा सच

लाल बहादुर शास्त्री जी के मौत के समय उनके होटल में ही मौजूद रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर ने अपनी आत्मकथा और इंटरव्यू में उनकी मौत और उनसे जुड़े कुछ किस्सों के बारे में बताया था।

New Delhi, Jan 11 : देश के छोटे कद के बड़े प्रधानमंत्री कहे जाने वाले लाल बहादुर शास्त्री की आज 53वीं पुण्यतिथि है, देश के दूसरे पीएम ने जय जवान जय किसान का नारा दिया था, उन्होने अपने कार्यकाल में देश को कई संकटों से उबारा था, करीब 18 महीने तक वो देश के पीएम रहे, आइये इस खास मौके पर उनसे जुड़े कुछ किस्से आपको बताते हैं।

Advertisement

परिवार ने उठाये थे मौत पर सवाल
सोवियत संघ के ताश्कंद में 10 जनवरी 1966 को भारत-पाक ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किये थे, उसी रात ताश्कंद में ही तत्कालीन पीएम लाल बहादुर शास्त्री का निधन हो गया था, उनके परिजनों ने इस पर सवाल खड़े किये थे, उनके बेटे अनिल शास्त्री के अनुसार उनके पिता की मौत के बाद उनका चेहरा नीला हो गया था, उनके मुंह पर सफेद धब्बे थे, उन्होने कहा था कि उनके पिता हमेशा एक डायरी रखते थे, लेकिन तब वो डायरी नहीं मिली थी, इसके अलावा उनका पास हमेशा एक थर्मस रहता था, वो भी गायब था, इसके अलावा पोस्टमॉर्टम भी नहीं हुआ, उनकी मौत को संदेहजनक मानी जाती है।

Advertisement

वरिष्ठ पत्रकार ने बताया था क्या हुआ था
पीएम की मौत के समय उनके होटल में ही मौजूद रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर ने अपनी आत्मकथा और इंटरव्यू में उनकी मौत और उनसे जुड़े कुछ किस्सों के बारे में बताया था, उन्होने कहा कि तब भारत-पाक समझौते की खुशी में होटल में पार्टी थी, उनकी नींद दरवाजे की दस्तक से खुली, सामने एक रुसी औरत खड़ी थी, जो उनसे कही, यॉर प्राइम मिनिस्टर इज दाइंग। जिसके बाद वो तुरंत कोट पहन नीचे आये, जहां पर रुसी पीएम कोसिगिन खड़े थे, एक पलंग पर शास्त्री का छोटा सा शरीर सिमटा हुआ था, कुलदीप नैयर ने कहा कि वहां जनरल अयूब भी पहुंचे।

Advertisement

पत्नी से की थी बात
वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि शास्त्री जी ने देर रात अपने घर पर फोन किया था, उनकी सबसे बड़ी बेटी ने फोन उठाया, जिसके बाद शास्त्री जी ने कहा अम्मा को फोन दो, जिसके बाद बड़ी बेटी ने जवाब दिया, कि अम्मा फोन पर नहीं आएंगी, तो पीएम ने पूछा क्यों, जवाब मिला, क्योंकि आपने हाजी पीर और ठिथवाल पाक को दे दिये है, वो बहुत नाराज हैं, इस बात का उन्हें बेहद धक्का लगा। इसके बाद वो परेशान होकर कमरे में ही चक्कर काटने लगे, हालांकि इसके कुछ देर बाद उन्होने अपने सचिव को फोन किया और भारत में नेताओं की प्रतिक्रिया जाननी चाही, उऩ्हें आलोचना भरी दो प्रतिक्रियाएं मिली थी।

एक मात्र दौरा जिस पर पत्नी नहीं गई साथ
शास्त्री जी के बेटे ने एक इंटरव्यू में बताया था कि लंबे समय तक उनकी मां कहती रहती थी कि अगर वो शास्त्री जी के साथ ताशकंद गई होती, तो उनके पिता जिंदा होते, उन्होने बताया कि वैसे ये अकेला दौरा था, जब वो अपने साथ पत्नी को नहीं ले गये थे, ये बहुत ही कूटनीतिक दौरा माना जा रहा था, विदेश मंत्रालय ने उन्हें ना जाने का सुझाव दिया है, लाल बहादुर शास्त्री जी के गुजर जाने के बाद उनकी पत्नी ने उनकी अस्थियों को काफी समय तक संभालकर रखा था, जिसे बाद में उन्होने इलाहाबाद के संगम में प्रवाहित किया।