सपा-बसपा गठबंधन, कभी इसी स्थान पर मिले थे ‘यूपी के लड़के’, ना 93 जैसी है बीजेपी, ना मुलायम-कांशीराम

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि 2017 और 2019 में हालात बदल चुके हैं, विधानसभा में भले सपा-कांग्रेस का गठबंधन सफल ना हुआ हो, लेकिन अब स्थिति अलग है।

New Delhi, Jan 12 : सपा ने बसपा के साथ गठबंधन का ऐलान कर दिया है, आज सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती एक प्रेस कांफ्रेस करने जा रही हैं, ये प्रेस कांफ्रेंस वही होने जा रही है, जहां दो साल पहले सपा और कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में गठबंधन का ऐलान किया था, तब 29 जनवरी 2017 की तारीख थी, आज 12 जनवरी 2019 की तारीख है। लखनऊ का होटल ताज एक बार फिर से नये गठबंधन का गवाह बनेगा, वक्त और जगह तो वही होगी, लेकिन गठबंधन का एक साथ बदल चुका है।

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यूपी के लड़के नहीं बदल सके उत्तर प्रदेश
जनवरी 2017 में जब अखिलेश और राहुल गांधी ने एक साथ प्रेस कांफ्रेंस की था, तब दोनों ने एक ही रंग की सदरी भी पहन रखी थी, तब कहा गया था कि यूपी के लड़के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश को बदल देंगे, तब उनका संयुक्त नारा था यूपी को ये साथ पसंद है, तब समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को 100 विधानसभा सीटें दी थी, लेकिन बीजेपी की आंधी में पूर्ण बहुमत से सरकार चला चुकी सपा सिर्फ 47 सीटों पर सिमट गई, तो कांग्रेस सिर्फ सात सीटें ही जीत पाई, बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला और योगी प्रदेश के नये सीएम बनें।

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अब हालात अलग हैं
हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि 2017 और 2019 में हालात बदल चुके हैं, विधानसभा में भले सपा-कांग्रेस का गठबंधन सफल ना हुआ हो, लेकिन अब स्थिति अलग है, चुनाव हारने के बाद सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि कांग्रेस से गठबंधन सपा की भूल थी, अगर सपा अकेले चुनाव लड़ती तो ज्यादा फायदे में रहती ।

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कांग्रेस से किनारा
अब सामने लोकसभा का चुनाव है, कांग्रेस को अलग कर सपा ने बसपा से गठबंधन कर लिया है, आपको बता दें कि सपा बसपा के समर्थन से तीन उपचुनाव जीत चुकी है, बताया जाता है कि समर्थन को आतुर कांग्रेस को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रोक दिया था, हालांकि हाल ही में राहुल गांधी ने कहा है कि कांग्रेस को कम करके ना आंका जाए, तीन राज्यों में जीत के बाद कांग्रेस के हौसले बुलंद हैं, उनके कार्यकर्ता भी जोश में आ गये हैं।

1993 में भी गठबंधन
आपको बता दें कि साल 1993 में मुलायम और कांशीराम के बीच गठबंधन हुआ था, बाबरी मस्जिद गिराये जाने के बाद कल्याण सिंह ने तब सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद चुनाव होने जा रहे थे, तब यूपी में नारा चला था, मिले मुलायम कांशीराम हवा में उड़ गये जयश्रीराम। 1993 के चुनाव में मुलायम सिंह यादव की पार्टी को 109 और बसपा को 67 सीटें मिली थी, अब 2019 में मोदी इनके सामने हैं, उनके सिपहसलार अमित शाह का दावा है कि 2019 में बीजेपी यूपी में 74 सीटें जीतेंगी, 72 नहीं होने देंगे, अब सपा-बसपा गठबंधन मोदी को कितनी टक्कर दे पाएगा, ये तो आने वाले कुछ महीनों में ही साफ हो जाएगा।