22 साल से लिव-इन में रह रहा था कपल, अब बेटे-बहू के साथ मंडप में इस वजह से लिए 7 फेरे  

लिव-इन में रहने वाले कपल साल डेढ़ साल बाद या तो शादी कर लेते हैं या फिर मूव आउट कर रिलेशनशिप को खत्‍म कर देते हैं । लेकिन एक ऐसे जोड़े के बारे में जानिए जिन्‍होने 22 साल बाद अपने लिव-इन को शादी का नाम दिया है । वजह भी बड़ी है ।

New Delhi, Jan 15 : लिव-इन में रहना आजकल मॉर्डन लाइफस्‍टाइल का हिस्‍सा हो गया है, यंग कपल्‍स शादी से पहले एक साथ रहकर एक दूसरे को समझना चाहते हैं इसलिए कुछ पैरेन्‍ट्स की परमीशन से तो कुद खुद से ही लिव इन में रहते हैं । कुछ समझ आता है तो दोनों रिश्‍ते में आगे बढ़ते हैं नहीं तो एक दूसरे को रिश्‍ते से अलग कर आगे बढ़ जाते हैं । लेकिन क्‍या आप विश्‍वास करेंगे एक ऐसा कपल जिसने ना खुद शादी की और ना ही अपने बेटे को ही शादी के लिए कहा । 22 सालों से लिवइन में रहने वाला ये कपल आखिरकार शादी के बंधन में बंध गया ।

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सामूहिक विवाह में शादी
झारखंड में एक खास प्रकार के सामूहिक विवाह का आयोजन किया गया । इस विवाह में ऐसे कईजोड़े शादी के बंधन में बंधे जिनके बच्चों के साथ-साथ उनके पोते-पोती भी इस दिन का गवाह बने । ऐसा ही एक जोड़ा रहा रामलाल मुंडा और सहोदरी देवी को । 55 वर्षीय रामलाल मुंडा दूल्‍हे बने तो वहीं 22 साल से उनके साथ रह रहीं 45 साल की सहोदरी देवी शादी के बंधन में बंध गए ।

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अब तक नहीं की शादी
रामलाल मुंडा आदिवासी समाज से ताल्‍लुक रखते हैं तो वहीं सहोदरी देवी लोहरा समाज से ताल्लुक रखती है । दोनों ही एक साथ गमुला में रहते थे और दोनों की शादी नहीं हुई थी । जब लोगों ने इस संबंध के विरोध में अपनी आपत्ति दर्ज कराई तो दोनों घाघरा आ कर रहने लगे । लिव इन में रह रहे इस कपल का एक 21 साल का बेटा भी है, नाम है जीतेश्वर । जीतेश्वर भी अपने माता-पिता की ही तरह लिव इन में रह रहा था । दो साल पहले उसे भी 19 साल की अरुणा से प्रेम हो गया । ये दोनों भी साथ रहने लगे और और इन्‍होने भी शादी नहीं की ।

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सामूहिक विवाह में रचाई शादी
रामलाल और सहोदरी ने अब जाकर अपने रिश्‍ते को शादी का नाम देने का विचार किया और जब इन्हें रांची में लिव-इन रह रहे लोगों के सामूहिक विवाह की जानकारी मिली तो रामलाल और सहोदरी अपने बेटा-बहू के साथ सोमवार को दीनदयाल नगर स्थित झारखंड सिविल सर्विसेज इंस्टीट्यूट के परिसर में आए और इस कार्यक्रम का लाभ उठाते हुए शादी के बंधन के बंध गए। खास बात ये कि रामलाल की 5 महीने की पोती रोमिका भी अपने दादा-दादी के शादी की गवाह बनी ।

लिव इन में रहने की वजह
आदिवासी समाज में रामलाल मुंडा ही अकेले ऐसे शख्‍स नहीं है जो लि-इन में रहते हैं । ऐसा कई बरसों से होता आ रहा है और कई जोड़े हैं जो बिना शादी के एक साथ रहे हैं । लि-इन ये नाम तो अब शहरों की देन आदिवासी समाज में ऐसे रहना मजबूरी भी है । दरअसल शादी के ताम-झाम और रस्‍म रिवाज को पूरा करने में बहुत पैसा खर्च हेाता है, आर्थिक रूप से कमजोर लोग इन परंपराओं का निर्वहन नहीं कर पाते हैं । इससे बचने के लिए वो बस साथ रहने लगते हैं और परिवार के दायित्‍वों का पालन करने लगते हैं । बस इस रिश्‍ते का कोई नाम नहीं होता ।