त्याग के सहारे कुनबा बढाने की तैयारी में बीजेपी, अब इन्हें भी मिलेगा ‘भाई’ का दर्जा

बीजेपी रणनीति के तहत महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में 26-22 का फॉर्मूला अपनाएगी, जबकि विधानसभा चुनाव में बराबर सीटों पर चुनाव लड़ सकती है।

New Delhi, Jan 29 : आम चुनाव को लेकर तमाम राजनीतिक दल तैयारियों में जुट चुकी है, सभी अपने स्तर पर तैयारी कर रहे हैं, अब बीजेपी विपक्ष की महागठबंधन की चुनौतियों से लड़ने के लिये त्याग के सहारे अपना क कुनबा संभालने में जुट गई है, अमित शाह ने बिहार में नीतीश-रामविलास को मनाने के बाद अब महाराष्ट्र में शिनसेना को मनाने के लिये त्याग की रणनीति तैयार की है, उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही गठबंधन का ऐलान होगा।

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नाराज सहयोगियों को मनाने की कोशिश
बीजेपी रणनीति के तहत महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में 26-22 का फॉर्मूला अपनाएगी, जबकि विधानसभा चुनाव में बराबर सीटों पर चुनाव लड़ सकती है, आपको बता दें कि शिवसेना और बीजेपी का पिछले तीन दशक का रिश्ता था, जिसमें लोकसभा चुनाव में बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में होता है, तो विधानसभा चुनाव में शिवसेना ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ती थी, लेकिन 2014 विधानसभा में दोनों का गठबंधन टूट गया, जिसके बाद दोनों अकेले चुनावी मैदान में उतरे।

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नितिन गडकरी को जिम्मेदारी
बीजेपी सूत्रों का दावा है कि महाराष्ट्र में शिवसेना को साथ लाने की जिम्मेदारी केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी को सौंपी गई है, अब तक बड़े भाई की भूमिका की मांग कर रहे शिवसेना को बीजेपी भाई का दर्जा देने की तैयारी में है, यानी लोकसभा में बीजेपी ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी और विधानसभा में दोनों बराबर सीटों पर चुनावी मैदान में उतरेंगे।

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लोकसभा में जबरदस्त जीत
मालूम हो कि पिछली बार मोदी लहर में बीजेपी 26 में से 23 और शिवसेना 22 में से 18 सीटें जीतने में सफल रही थी, इस बार शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अकेले ही चुनाव लड़ने के ऐलान किया था, लेकिन कई शिवसेना सांसदों ने पार्टी प्रमुख को कहा था कि अगर अकेले चुनावी मैदान में उतरे, तो सबसे ज्यादा नुकसान शिवसेना को उठाना पड़ सकता है, क्योंकि विपक्ष में एनसीपी और कांग्रेस ने भी गठबंधन का ऐलान कर दिया है, शायद इसी वजह से उद्धव ठाकरे के सुर थोड़े नरम पड़े हैं।

त्याग को तैयार
आपको बता दें कि इसी त्याग की रणनीति के तहत बीजेपी ने बिहार में नीतीश और रामविलास को संतुष्ट किया, यहां गठबंधन बचाने के लिये बीजेपी ने जदयू तो बराबर सीटों का ऑफर किया, तो रामविलास पासवान की भी शर्ते मान ली, कहा जा रहा है कि अमित शाह महागठबंधन से लड़ने के लिये अपना कुनबा मजबूत करना चाहता हैं, इसी वजह से वो सहयोगियों को संभाल रहे हैं।