भारत रत्न नानाजी देशमुख- समाजसेवा के लिये ठुकरा दिया मंत्री पद, सब्जी बेचते हुए की पढाई

नानाजी देशमुख लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के विचारों से काफी प्रभावित थे, उन्हीं से प्रेरित होकर उन्होने समाजसेवा शुरु किया था।

New Delhi, Jan 29 : गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर मोदी सरकार ने तीन लोगों को देश का सर्वोच्च सम्मान देनिे का ऐलान किया, जिसमें पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे प्रणब मुखर्जी, भूपेन हजारिका और नानाजी देशमुख का नाम शामिल है। नानाजी समाजसेवी थी, वो भारतीय जनसंघ के दिग्गज नेता रहे हैं, साल 1977 में जनता पार्टी की सरकार में उन्हें मंत्री पद ऑफर किया गया था, लेकिन उन्होने पद लेने से मना कर दिया, तब उन्होने कहा था कि 60 साल की आयु के बाद सरकार से बाहर रहकर समाज की सेवा करना चाहता हूं।

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सब्जी बेचकर की पढाई
नानाजी देशमुख का असली नाम चंडिकादास अमृतराव देशमुख था, उनका जन्म 11 अक्टूबर 1916 में महाराष्ट्र के हिंगोली जिला के कंदोली कस्बे में हुआ था, उन्होने बचपन में ही अपने माता-पिता को खो दिया था, शुरुआती जीवन उनका काफी संघर्षपूर्ण रहा, उनका लालन-पालन उनके मामा ने किया। शिक्षा में उनकी काफी रुचि थी, लेकिन पैसों के अभाव की वजह से वो किताबें नहीं खरीद पाते थे, फिर उन्होने सब्जी बेचकर शिक्षा के लिये पैसे जुटाये, मंदिर में समय बिताया, फिर बिरला इंस्टीट्यूट से उच्च शिक्षा हासिल की, साल 1930 में वो आरएसएस से जुड़ गये, नानाजी देशमुख ने राजस्थान और यूपी में समाजसेवा में काफी काम किया।

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आरएसएस में भूमिका
नानाजी देशमुख लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के विचारों से काफी प्रभावित थे, उन्हीं से प्रेरित होकर उन्होने समाजसेवा शुरु किया था, तब संघ के संचालक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का नानाजी के परिवार से ताल्लुक था, और उन्होने नानाजी की प्रतिभा को पहचाना, लिहाजा उन्हें संघ में शामिल होने का न्योता दिया, जिसके बाद आरएसएस को बड़ा करने में नानाजी देशमुख ने काफी बड़ी भूमिका निभाई, संघ की पत्रिका पाच्जन्य के प्रकाशन में भी उनका काफी अहम योगदान रहा।

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समाज सेवा के लिये तत्पर रहे
जनसंघ की स्थापना के बाद नानाजी देशमुख ने यूपी में महासचिव का पद संभाला और बाबू त्रिलोकी सिंह की जीत में अहम भूमिका निभाई, डॉ. राम मनोहर लोहिया, चंद्रभानु गुप्त जैसे दिग्गज नेता भी नानाजी देशमुख का सम्मान करते थे, उन्होने भूदान आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी, और विनोबा भावे के साथ मिल समाजसेवा के क्षेत्र में काम करते रहे, जेपी आंदोलन के दौरान उन्होने जेपी को पुलिस की लाठियों से बचाने के लिये अहम भूमिका निभाई, फिर बलरामपुर सीट से सांसद चुने गये।

शरीर को भी कर दिया दान
वाजपेयी सरकार के दौरान वो राज्यसभा सदस्य थे, समाजसेवा में योगदान के लिये उन्हें पद्म विभूषण के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, अब मोदी सरकार ने उन्हें भारत रत्न देने का फैसला लिया, 94 साल उम्र में नानाजी देशमुख ने इस दुनिया को अलविदा कहा, वो देश के पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होने अपने पार्थिव शरीर को मेडिकल के छात्रों को शोध के लिये दान दे दिया था, निधन के बाद उनके पार्थिव शरीर को एम्स के हवाले कर दिया गया था।