नीतीश कुमार अलग ही समीकरण बनाने में जुटे हैं, सबसे ताकतवर गद्दी तक पहुंचने की कर रहे तैयारी

नीतीश कुमार की नेतृत्व वाली जनता दल यू बिहार में 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. नीतीश कुमार के समर्थकों का आंकलन है कि कम से कम 15 सीटों पर उनकी जीत होगी

New Delhi, Feb 10 : लगता है एक बार फिर सीएम नीतीश कुमार के शरीर में पीएम पद का जर्म ढुक गया है. वजीरे आलम बनने की आकांक्षा हिलोरे मारने लगी है. पहली बार ये चाहत 2010 विधानसभा चुनाव में भब्य जीत के बाद जागृत हुई थी. जिसका नतीजा था 2013 के मध्य में 17 साल पुराने राजनीतिक हमसफर बीजेपी से तलाक. क्योंकि तब बीजेपी ने नरेन्द्र मोदी को पीएम कैन्डीडेट तय कर लिया था.

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नीतीश कुमार के चाल, ढाल, बोली, चाली से आभास हो रहा है कि सीएम देश की सबसे ताकतवर गद्दी तक पहुंचने के वास्ते एक बार फिर ताल ठोकने की तैयारी कर रहे हैं. सीएम के नवरत्न भी मुंहा मुंही इस बात का जिक्र कर रहे हैं कि ‘साहब मन बना चुके हैं कि रायसीना हिल्स के रिंग में हैट फेंकना है’.
अब नीतीश कुमार के नजदीकी खुलकर तर्क दे रहे हैं कि पीएम पद की दावेदारी तब की जाएगी जब 2019 का चुनाव त्रिशंकू वरडिक्ट देने का काम करता है. जनता दल यू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पार्टी के पोल स्ट्रेटजिस्ट प्रशांत किशोर ने हाल ही में शिवसेना के बड़े नेताओं से मुलाकात के दौर में नीतीश कुमार की दिल की चाहत वाली बात का खुलासा किया है.

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अंगे्रजी दैनिक दी इकोनामिक्स टाईम्स में छपी खबर के अनुसार प्रशांत किशोर ने शिवसेना नेताओं से आग्रह किया है कि वो लोकसभा का चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर लड़े और जब हंग हो जाए तो नीतीश कुमार को पीएम बनाने में उनकी मदद करें. खबर के अनुसार प्रशांत किशोर ने 2019 लोकसभा चुनाव नतीजों का विश्लेषण करके बताया कि बीजेपी 100 सीट तक सिमट सकती है. उन्होंने आगे कहा है कि हंग की सिथति में वाई एस कांग्रेस, तेलंगना राष्ट्र समिति, बीजू जनता दल और एआईएडीएमके जैसी क्षेत्रिय दल केन्द्र में नन-कांग्रेस सरकार बनाने के लिए नीतीश कुमार को सपोर्ट कर सकती हैं.

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नीतीश कुमार की नेतृत्व वाली जनता दल यू बिहार में 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. नीतीश कुमार के समर्थकों का आंकलन है कि कम से कम 15 सीटों पर उनकी जीत होगी. चर्चा तो इस बात की भी है कि पीएम बनने के लिए नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव के बाद बीजपी से रिलेशन तोड़ कर राजद से दूबारा तालमेल कर सकते हैं और बिहार की गद्दी तेजस्वी यादव को सौंपकर राजद को भी अपने पक्ष में कर लेंगे. हालाकिं राजद के नेता सिरे से इस प्रकार की राजनीतिक पुर्नमिलन की संभावना को खारिज कर रहे हैं. लेकिन साथ में यह भी कहने में कोताही नहीं करते हैं कि ‘राजनीति में कुछ भी घटित होने की संभावना हमेशा बनी रहती है’.
बीजेपी के कई नेता भी आॅफ दी रिकार्ड कहते हैं कि उनलोंगो को इस बात की आशंका है कि अगर पार्टी लोकसभा चुनाव में 150 सीट से आगे नहीं बढ़ती है तो नीतीश कुमार पीएम बनने के लिए कोई भी कदम उठा सकते हैं. भगवा पार्टी के एक बड़े नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि ‘नीतीश कुमार की हर चाल की खबर हमलोगों को है. भले ही नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र में हमारी सरकार न बने लेकिन हमलोग किसी भी सूरत में नीतीश कुमार को पीएम नहीं बनने देंगे’.

(वरिष्ठ पत्रकार कन्हैया भेलारी के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)