Opinion – हुर्रियत नेताओं से दामाद जी का दर्जा वापस लेना ही काफी नही है, उनके खिलाफ एक्शन हो

दामाद जी वाला दर्जा छीनते ही महबूब मुफ़्ती परेशान हो गई हैं। फिर से सुविधाएं दिलवाने के लिए वे सक्रिय हो गईं हैं। इससे उनके आपसी रिश्ते समझे जा सकते हैं।

New Delhi, Feb 17 : दुनिया में ऐसा देश खोजे नहीं मिलेगा, जो अपने दुश्मनों को ‘दामाद’ बनाकर रखता हो। भारत इसका अपवाद है। कश्मीर में अलगाववादी नेताओं को सरकार ने भारी-भरकम सुरक्षा दे रखी थी। उन्हें सरकारी गाड़ियां मिली हैं। कहीं आने-जाने के लिए हवाई टिकट और होटल की सुविधा भी दी जाती है। यह वर्षों से चला आ रहा है। ये नेता पाकिस्तान से भी पैसे पाते हैं। वहां आते जाते रहते हैं। और भारत के खिलाफ विष वमन करते रहते हैं।

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आज सरकार ने 5 हुर्रियत नेताओं की सुरक्षा और अन्य सुविधाएं वापस ली गई। बताया जा रहा है कि 5 नेताओं की सुरक्षा पर सालाना 10 करोड़ खर्च होते हैं। अभी आधे दर्जन और हुर्रियत नेताओं को मिला ‘सरकारी दामाद’ का दर्जा कायम रखा गया है। पता नहीं उनसे क्या मोहब्बत है? कुछ दिन पहले जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सतपाल मालिक ने एक समारोह में कहा था — कश्मीर के नेता कश्मीर को लूटने में लगे हैं। एक-एक नेता कि 40-40, 50-50 कमरों की हवेलियां हैं। उसमें करोड़ो रूपये की कालीनें बिछी रहती हैं। वे आतंकियों को संरक्षण देते हैं। नेता अमीर हैं पर कश्मीरी गरीब है। उसकी चिंता करनेवाला कोई नहीं है। नेताओं को सिर्फ अपनी चिंता रहती है।

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राज्यपाल ने जो बातें कहीं, वे अब सामने आ रही हैं। हुर्रियत नेताओं को दामाद जी वाला दर्जा उन्हीं में से एक है। दामाद जी वाला दर्जा छीनते ही महबूब मुफ़्ती परेशान हो गई हैं। फिर से सुविधाएं दिलवाने के लिए वे सक्रिय हो गईं हैं। इससे उनके आपसी रिश्ते समझे जा सकते हैं।
सरकारी स्तर पर भी पाक परस्तों को संरक्षण मिलता रहा है। एक समय जगमोहन वहां राज्यपाल थे। उन्होंने जब पाक परस्तों को पहचान का काम शुरु किया तो उन्हें वापस बुला लिया गया था। पद से हटने के बाद वे एक कार्यक्रम में पटना आये थे। उसमें उन्होंने कहा था कि जेके पुलिस में 70 प्रतिशत लोग पाक समर्थक हैं। जगमोहन ने उन्हें बर्खास्त करना शुरु किया तो उन्हें हटा दिया गया।

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हुर्रियत नेताओं से दामाद जी का दर्जा वापस लेना ही काफी नही है, बल्कि जिस मंत्रिमंडल ने यह सुविधा शुरु की थी, उसके सदस्यों से अबतक खर्च हुए पैसे वसूले जाने चाहिए। जनता के पैसे से देश विरोधी काम को संरक्षण देना बहुत बड़ा गुनाह है।

(वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)