गनीमत है कि मुस्लिम मोदी का वोटर नहीं है, तभी इतनी निर्णायक और बड़ी कार्रवाई हो रही है

अगर आज नरेंद्र मोदी सरकार के सामने भी मुस्लिम तुष्टिकरण की दीवार अगर होती तो यह मोदी सरकार भी पाकिस्तान में आतंकियों के ठिकाने पर इस तरह एयर स्ट्राइक नहीं कर पाती ।

New Delhi, Mar 01 : मेरा स्पष्ट मानना है कि जब मुम्बई में आतंकी हमला हुआ था तब मनमोहन सरकार भी पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर सकती थी । क्यों कि भारतीय सेना तब भी इतनी ही सक्षम थी । लेकिन दो कारणों से मनमोहन सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया । एक तो वह सोनिया गांधी का रिमोट था , जिस ने रोक दिया कोई कार्रवाई करने से । दूसरे , मुस्लिम तुष्टिकरण की मजबूरी थी । यह मुस्लिम तुष्टिकरण ही था कि मुम्बई हमले को हिंदू आतंकवाद का एक नैरेटिव भी दिया गया और कांग्रेस द्वारा कहा गया कि आर एस एस ने यह हमला करवाया है । अगर कसाब जिंदा न पकड़ा गया होता तो शायद कांग्रेस इस नैरेटिव को बहुत आगे तक ले गई होती कि मुम्बई हमला आर एस एस ने करवाया था । उस के लिए उस के पास करकरे की आतंकवादियों द्वारा हत्या का एक कुतर्क था ।

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अजीज बर्नी नाम के एक घोर साम्प्रदायिक और जहरीले पत्रकार ने आर एस एस ने मुम्बई हमला करवाया का फ़तवा जारी करते हुए उर्दू में एक किताब भी तभी आनन-फानन लिख दी थी जिस का लोकार्पण दिग्विजय सिंह ने किया था और उन की खूब थू-थू हुई थी। तय मानिए कि अगर आज नरेंद्र मोदी सरकार के सामने भी मुस्लिम तुष्टिकरण की दीवार अगर होती तो यह मोदी सरकार भी पाकिस्तान में आतंकियों के ठिकाने पर इस तरह एयर स्ट्राइक नहीं कर पाती । न इस के पहले सर्जिकल स्ट्राइक की होती । न अलगाववादी हुर्रियत नेताओं की सुरक्षा वापस ले कर उन्हें इस मौके पर जेल में ठूंस पाती ।

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यह बहुत गनीमत है कि मुस्लिम वोटर मोदी का वोटर नहीं है । तभी इतनी निर्णायक और बड़ी कार्रवाई संभव बन पड़ी है । नहीं मुस्लिम वोट के चक्कर में मनमोहन सरकार की तरह डोजियर की लेन-देन में ही व्यस्त रहती यह मोदी सरकार भी । अफजल की फांसी को ज्यूडिशियल किलिंग का फ़तवा इसी मुस्लिम तुष्टिकरण की ही देन है । भारत … टुकड़े होंगे , इंशा अल्ला , इंशा अल्ला का नारा भी अगर गूंजता है तो इसी मुस्लिम तुष्टिकरण की बुनियाद पर । अगर यही नारा आर एस एस लगाता तो नारा होता , भारत …टुकड़े होंगे , हर-हर महादेव । या जय बजरंगबली । या ऐसा ही कुछ । पर ऐसा कुछ , कभी नहीं हुआ । हुआ तो इंशा अल्ला ही हुआ । तो यह मुस्लिम तुष्टिकरण का जहर ही है , कुछ और नहीं ।

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खैर , विंग कमांडर अभिनंदन की सकुशल वापसी का पाकिस्तानी संसद में इमरान खान का ऐलान और पूरी पाकिस्तानी संसद का मेज थपथपाना बहुत बड़ी घटना है । यह वही पाकिस्तान और वही पाकिस्तानी संसद है जो अपनी ऐटमी शक्ति का कितना फूहड़ ऐलान करती रही है । सौ साल तक भारत से लड़ने के ऐलान वाला यह वही पाकिस्तान है । एक मोदी सरकार ने कितना तो बदल दिया है , इमरान खान वाले पाकिस्तान को । सोचने और समझने की बात है । अब भारत के मुस्लिम समाज के बदलने की बारी है । उस मुस्लिम समाज के बदलने की जो पुलवामा में शहीद हुए जवानों का मातम नहीं मनाता , जश्न मनाता है ।

(वरिष्ठ पत्रकार दयानंद पांडेय के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)