Opinion- राजद्रोह कानून पर घोषणा कर कांग्रेस ने बीजेपी को बड़ा मुद्दा दे दिया

कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में आई.पी.सी.की धारा -124 ए को समाप्त करने का वादा मतदाताओं से कर दिया।

New Delhi, Apr 03 : सितंबर, 2016 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश दीपक मिश्र की अध्यक्षता वाले पीठ ने कहा था कि ‘सिर्फ सरकार की आलोचना राजद्रोह नहीं है।’
बल्कि ‘सरकार के खिलाफ हिंसक क्रांति’ राजद्रोह की श्रेणी में आती है। सुप्रीम कोर्ट ने केदार नाथ सिंह बनाम बिहार सरकार के मामले का उदाहरण देते हुए कहा है कि संवैधानिक पीठ के 1962 के उस फैसले में जो दिशा निदेश दिए गए हैं, उनका आज भी पालन करना होगा। उस फैसले में इस कानून के दुरूपयोग से बचाव के उपाय मौजूद हैं।

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फिर भी आज कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषण पत्र में आई.पी.सी.की धारा -124 ए को समाप्त करने का वादा मतदाताओं से कर दिया। कश्मीर और छत्तीस गढ़़ में अनेक अंडरग्राउंड लोग हथियारों के बूते राजसत्ता को उलटने की कोशिश में गंभीरता से लगे हुए हैं। इन दोनों तत्वों के ओवरग्राउंड समर्थकगण खुलेआम दिल्ली तथा अन्य शहरों में उनकी क्रांति का प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से समर्थन कर रहे हैं। जब सुप्रीम कोर्ट धारा-124 ए के दुरूपयोग के खिलाफ एकाधिक बार अपनी स्पष्ट राय जाहिर कर चुका है तो फिर कांग्रेस इस धारा को समाप्त करके किसे बचाना चाहती है ?

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यदि भाजपा या कुछ अन्य लोग यह आरोप लगाएं कि कांग्रेस छत्तीस गढ़ और कश्मीर के ‘टुकड़े -टुकड़े गिरोहों’ को बचाना चाहती है तो इस आरोप में दम लगता है। राजद्रोह कानून के दुरूपयोग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार क्या कहा था, वह सब निम्नलिखित विवरण से साफ है। वामपंथी नेता केदार नाथ सिंह ने 26 मई 1953 को बरौनी की एक सभा में तत्कालीन कांग्रेसी सरकार की तीखी आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि बरौनी में सी.आई.डी.के कुत्ते घूम रहे हैं। इस सभा में भी कई सरकारी कुत्ते शामिल हैं। भारत की जनता ने अंग्रेजों को तो भगा दिया।किंतु कांग्रेसी गुंडों को गददी पर बैठा दिया। यह जनता की गलती थी।ये जनता का खून चूस रहे हैं।इन गुंडों को भी हम सत्ता से हटा देंगे।

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इस तीेखे भाषण के बाद केदारनाथ सिंह पर देशद्रोह का केस चला। लोअर कोर्ट ने उन्हें सजा दे दी। हाईकोर्ट ने भी सजा बरकारार रखी। मामला सुप्रीम कोर्ट गया। मुख्य न्यायाधीश भुनेश्वर प्रसाद सिंहा के नेतृत्व वाले संविधान पीठ ने केदार नाथ सिंह को सजामुक्त करते हुए राजद्रोह के मामले में कार्रवाई करने को लेकर स्पष्ट दिशा -निदेश जारी किये। यदि कांग्रेस उससे संतुष्ट नहीं है तो यह न सिर्फ देश बल्कि खुद कांग्रेस के भविष्य के लिए भी अच्छा नहीं है।

 (वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र किशोर के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)