तेज प्रताप को यह समझना होगा कि उनके छोटे भाई ‘अर्जुन’ तो हो सकते हैं, लेकिन वे ‘कृष्ण’ नहीं हो सकते

तेज प्रताप – खबरों में बने रहने के लिए नाटकीय अंदाज में कभी कुछ बोलकर तो कभी अपने एक्शन से सभी को चौंकाते रहते हैं। 

New Delhi, Apr 09 : पता नहीं क्यों यह आशंका पहले से ही थी कि तेज प्रताप यादव की पीसी अंत समय में रद्द हो जायेगी। और वही हुआ। 6 अप्रैल को यह सूचना आई थी कि 7 अप्रैल को 12.30 बजे तेज प्रताप प्रेस कांफ्रेंस करेंगे। तभी से मन में आशंका तैर रही थी। फिर 7 अप्रैल को करीब 12.15 बजे सूचित किया गया कि पीसी 1 बजे होगी। एक बजे उसे रद्द करने की सूचना दी गई।यह पहली बार नहीं है। इसके पहले भी उनकी पीसी रद्द हुई है।

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मीडिया में उनको लेकर एक अनिश्चय का भाव रहता है। कब क्या कर बैठेंगे, यह उनके नजदीक रहनेवालों को भी पता नहीं रहता। संभव है वे जानबूझ कर अपने बारे में ‘मनमौजी’ की छवि बनाना चाहते हों। लेकिन अब यह छवि उनपर भारी पड़ रही है। अपनी इस छवि के कारण वे घर से लेकर पार्टी तक में अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं। अकेलेपन के शिकार हो गए हैं। एक लघु दायरे में सिमट कर रह गये हैं। पार्टी और परिवार ने उनपर ध्यान देना छोड़ दिया है।

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मीडिया में भी उनकी गंभीरता पर सवाल उठ रहे हैं। लेकिन मीडिया की मजबूरी यह है कि तेज प्रताप लालू प्रसाद के बड़े पुत्र हैं। इस नाते उन्हें कवर करना पड़ता है। तेज भी इस स्थिति को अच्छी तरह समझते है। और वे इसका भरपूर फायदा उठाते हैं। खबरों में बने रहने के लिए नाटकीय अंदाज में कभी कुछ बोलकर तो कभी अपने एक्शन से सभी को चौंकाते रहते हैं। लेकिन यह सब ज्यादा लंबा नहीं चल सकता। उनका महत्व तभी तक है, जबतक वे लालू परिवार का हिस्सा हैं। जिस दिन परिवार ने उनसे संबंध तोडा, उस दिन से कोई उनकी नोटिस नहीं लेगा। उनके मामा साधु यादव और सुभाष यादव का हश्र सामने है।

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लालू यादव ने तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकारी बना दिया है। पूरी पार्टी और परिवार ने इसे स्वीकार कर लिया है। लालू जी के समर्थक भी तेजस्वी में अपने प्रिय नेता की छवि देखते हैं। अपनी सूझबूझ और वाकपटुता से तेजस्वी ने अपनी छवि एक जिम्मेवार नेता के रुप में विकसित की है। इसके ठीक उलट बड़े भाई की छवि बनी है।तेज प्रताप को यह समझना होगा कि उनके छोटे भाई ‘अर्जुन’ तो हो सकते हैं, लेकिन वे ‘कृष्ण’ नहीं हो सकते, जैसा कि वे दावा करते रहते हैं। कृष्ण की भूमिका में कोई है तो वो लालू प्रसाद खुद हैं। तेज प्रताप को अगर महाभारत के पात्रों में ही अपनी भूमिका ढूंढनी है तो उन्हें नकुल या सहदेव की ओर देखना चाहिए। इसी में उनका भला है।(वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)