निसंतान दंपति ध्‍यान दें, नवरात्र के 5वें दिन करें ये विशेष पूजा, स्‍कंदमाता जल्‍दी झोली भर देंगी

मां दुर्गा के पांचवें स्‍वरूप स्‍कंदमाता की पूजा अर्चना कर निसंतान दंपत्ति भी अपने मन की मुराद पूरी कर सकते हैं । स्‍कंदमाता संतान का वरदान देती हैं, ऐसे दंपति जो निसंतान हैं आज झोली फैलाकर मां से मन्‍नत मांग लें ।

New Delhi, Apr 09 : नवरात्रि में होती हैं मां दुर्गा के नौ स्‍वरूपों की पूजा । नौदुर्गा के व्रत का पांचवा दिन, इस दिन मां के पांचवें स्‍वरूप स्‍कंदमाता की पूजा की जाती है । भगवान स्कंद की माता होने के कारण देवी के इस स्‍वरूप का नाम स्कंदमाता पढ़ा । स्‍कंदमाता मोक्ष देने वाली हैं और उन दंपतियों के लिए मनोकामना पूर्ति की देवी हैं जिन्‍हें बच्‍चे नहीं हो रहे । स्‍कंदमाता को पूजने से निसंतान दंपतियों को संतान की प्राप्ति होती है ।

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माता का मनभावन रूप
मां स्कंदमाता का स्‍वरूप बड़ा मनभावन है । भगवान स्कंद को गोद में लिए हुए मां का ये स्वरूपममता को दर्शाता है । मां के लिए समस्‍त विश्‍व अपने बच्‍चे के समान है । स्कंदमाता की पूजा के साथ भगवान स्कंद की पूजा स्‍वयं ही हो जाती है। चार भुजाओं वाली स्‍कंदमाता वरमुद्रा में रहती हैं, उनके हाथ में कमल पुष्‍प है । माता को पद्मासना के नाम से भी जाना जाता है । स्‍कंदमाता को कल्याणकारी शक्ति की अधिष्ठात्री कहा जाता है।

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देवी आराधना का मंत्र
स्‍कंदमाता की आराधना का मंत्र – या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। … इस मंत्र का जाप कर जो दंपति मां स्कंदमाता की पूजा करता है उसकी गोद कभी खाली नहीं रहती । आजा मात को लाल वस्‍त्रों के साथ लाल सिंदूर, लाल चूड़ी, महावर, लाल बिंदी और लाल फल तथा लाल फूल चढ़ाएं साथ में चावल का दान दें । निसंतान दंपति की गोद भरती है ।

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निंसतान दंपत्ति जरूर करें ये पूजा
स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी कही जाती हैं, इनकी मनोरम छवि पूरे ब्रह्मांड में प्रकाशमान है । सच्चे मन से मां की पूजा करने वाले व्‍यक्ति को स्‍कंदमाता दुखी नहीं देख सकती । उसके दुखों को हरकर मां एक माता की तरह निश्चिंत कर देती हैं । करने से व्यक्ति को दुःखों से मुक्ति मिलकर मोक्ष और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की विधि-विधान से पूजा करें और ऊपर बताए मंत्र के साथ उनकी पूजा करें ।