इमरान खान के इस बयान पर क्या कहा जाए, किस मंशा से उन्होने मोदी पर ऐसा बयान दिया है

इमरान खान के इस बयान पर क्या कहा जाए ? किस मन्शा से यह बयान दिया गया है ? मोदी को हराने के लिए या जिताने के लिए ?

New Delhi, Apr 13 : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का एक बड़ा मजेदार बयान अखबारों में छपा है। उनका कहना है कि यदि नरेंद्र मोदी की जीत हो गई और वे प्रधानमंत्री बन गए तो कश्मीर का मसला हल हो सकता है। एक दक्षिणपंथी और राष्ट्रवादी भारतीय सरकार कश्मीर पर पाकिस्तान के साथ आत्मविश्वास से बात कर सकती है और यदि कांग्रेस जीत गई तो वह पाकिस्तान से बात करने में झिझकेगी।

Advertisement

इमरान के इस बयान पर क्या कहा जाए ? किस मन्शा से यह बयान दिया गया है ? मोदी को हराने के लिए या जिताने के लिए ? अब कांग्रेसी दावा करेंगे कि मोदी पाकिस्तान के प्रेमी हैं और पाकिस्तान उनका प्रेमी है। इसीलिए पाकिस्तान चाहता है कि वे चुनाव जीत जाएं। मोदी को पाकिस्तान-प्रेमी बताकर कांग्रेस उनके हिंदू वोटों को फिसलाने की भरपूर कोशिश करेगी। दूसरे शब्दों में इमरान का बयान मोदी-विरोधी तोप के गोले का काम करेगा लेकिन जो लोग दलीय राजनीति के कीचड़ में सने हुए नहीं हैं, वे इमरान के बयान की गंभीरता को ठीक से समझेंगे।

Advertisement

यदि अटलजी मुशर्रफ के साथ कायदे की बातचीत कर पाए थे और भारत-पाक थल-मार्ग को खोल पाए थे तो वही काम भाजपा के दूसरे नेता से भी अपेक्षित हो सकता है। ये बात दूसरी है कि मोदी और अटलजी में जमीन-आसमान का फर्क है। अटलजी कश्मीर के मसले का हल ‘इंसानियत के दायरे’ में हल करना चाहते थे। मैंने हुर्रियत के नेताओं की अटलजी से कई बार बात करवाई थी और करगिल-युद्ध के दिनों में भी नवाज शरीफ और अटलजी के बीच मेरे जरिए बात होती रहती थी। इसके अलावा कुछ अन्य चैनलों के जरिए दोनों नेताओं में संपर्क बना हुआ था। क्या मोदी के पास इस तरह के संपर्क हैं ?

Advertisement

अन्तरराष्ट्रीय राजनीति और कूटनीति में तीखे भाषणों और चटपटे बयानों का भी महत्व जरुर होता है लेकिन असली काम गुपचुप होता है। देखें, अगली सरकार उसे कैसे करती है? इसमें शक नहीं कि इस समय पाकिस्तान भयंकर आर्थिक संकट में फंसा हुआ है। डाॅलर की कीमत 150 रु. तक पहुंच गई है। उसका व्यापारिक असंतुलन 30 बिलियन डाॅलर तक पहुंच गया है। उसकी विकास दर 2019 में 5.2 प्रतिशत से घटकर 3.9 रह जाएगी। इस साल 10 लाख रोजगार घटेंगे और 40 लाख नए लोग गरीबी रेखा के नीचे चले जाएंगे। इमरान खान जैसे स्वाभिमानी व्यक्ति को चीन, सउदी अरब और संयुक्त अरब अमारात जैसे देशों के सामने बार-बार झोली फैलानी पड़ रही है। एशियन बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोश ने भी हाथ ऊंचे कर दिए हैं। अमेरिका अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं पर दबाव डाल रहा है कि वे पाकिस्तान की मदद नहीं करें। इमरान सरकार अपने आतंकी गिरोहों पर सख्ती करती हुई दिखाई पड़ रही है लेकिन कश्मीर पर बातचीत का सिलसिला भारतीय चुनावों के बाद ही शुरु होगा।

(वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)