शत्रु भैया पत्नी धर्म नहीं , राजनीति धर्म निभाइए

शत्रुघन सिनहा और पूनम सिनहा की कहानी बिलकुल अलग और बेवकूफी भरी है। क्यों कि दोनों के बीच न व्यक्तिगत मतभेद हैं , न राजनीतिक मतभेद।

New Delhi, Apr 19 : शत्रुघन सिनहा आज अपनी पत्नी और समाजवादी पार्टी की लखनऊ से उम्मीदवार पूनम सिनहा के लिए डिंपल यादव के साथ रोड शो क्या कर बैठे , लखनऊ से कांग्रेस उम्मीदवार प्रमोद कृष्णन ख़फ़ा हो गए। कहा कि आप मेरे लिए प्रचार कीजिए , पूनम के लिए नहीं । पत्नी धर्म नहीं , राजनीति धर्म निभाइए। लेकिन बड़बोले शत्रु , प्रमोद कृष्णन की इस बात पर बहुत ज़ोर से ख़ामोश हो गए। कांग्रेस पार्टी ने भी ख़ामोश रहने में ही कुशल समझी है। अभी तो ऐसे दृश्य और भी बहुतेरे आएंगे। पर तब की तब देखी जाएगी। गौरतलब है कि शत्रुघन सिनहा पटना साहिब से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। और कि पटना में मिस्टर ख़ामोश की और लखनऊ में मिसेज ख़ामोश दोनों की ज़मानत ज़ब्त होने की ख़बर आम है। पति-पत्नी का राजनीति में रहना कोई नई बात नहीं है। लेकिन शत्रुघन सिनहा और पूनम सिनहा की कहानी बिलकुल अलग और बेवकूफी भरी है। क्यों कि दोनों के बीच न व्यक्तिगत मतभेद हैं , न राजनीतिक मतभेद। जो भी कुछ हो रहा है , शत्रुघन सिनहा का बड़बोलापन , महत्वाकांक्षा और ब्लैकमेलिंग का ही नतीज़ा है ।

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खैर राजनीति में पति-पत्नी के किस्से बहुत हैं। आज दो-चार वाकये बताता हूं। सुचेता कृपलानी एक समय उत्तर प्रदेश की मुख्य मंत्री थीं। कभी कम्युनिस्ट रही , सुचेता बाद में सोशलिस्ट हुईं फिर कांग्रेसी। लेकिन कभी कांग्रेसी रहे उन के पति आचार्य जे बी कृपलानी तब ख़ुद की बनाई सोशलिस्ट पार्टी में थे । लेकिन मुख्य मंत्री निवास में साथ ही रहते थे । सुबह लान में कुर्सी डाल कर अख़बार पढ़ते मिलते थे। कोई राजनीतिज्ञ मुख्य मंत्री से मिलने जाता तो पहले उन से ही वास्ता पड़ता। सो संकोच में उन के पास जा कर बैठ जाता और कहता , आप से मिलना चाहता था। कृपलानी उसे डपटते हुए कहते , मालूम है किस से मिलने आए , जाओ अंदर मिल लो। यहां मक्खनबाजी मत करो। अगला चुपचाप सरक जाता। महाराष्ट्र में एक मुख्य मंत्री हुए वसंत दादा पाटिल। उन की पत्नी थीं शालिनी ताई पाटिल। दोनों ही कांग्रेस में थे । जाने क्या हुआ कि शालिनी ताई पाटिल ने वसंत दादा पाटिल की सरकार रातो-रात गिरा दी और दूसरे दिन ख़ुद मुख्य मंत्री पद की शपथ ले बैठीं।

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धर्मेंद्र भी एक समय 2004-2009 में राजस्थान के बीकानेर से भाजपा के सांसद रहे थे। अब हेमा मालिनी भी मथुरा से सांसद हैं और फिर चुनाव मैदान में हैं। नरगिस राज्यसभा में रहीं जब कि सुनीलदत्त लोकसभा में थे और मंत्री भी रहे । जावेद अख्तर और शबाना आज़मी भी बारी-बारी राज्यसभा में रहे हैं।

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बिहार में माफ़िया और हत्यारा पप्पू यादव जो कभी कम्युनिस्ट हुआ करता था , अब यादव हैं और ख़ुद की पार्टी बना रखी है। लेकिन उस की पत्नी रंजीत रंजन कांग्रेस की सांसद और प्रवक्ता दोनों ही हैं। इस बार भी कांग्रेस के टिकट पर उम्मीदवार हैं। लालू यादव पति-पत्नी की राजनीतिक कहानी भी किसी से छुपी नहीं है। लेकिन राबड़ी को चर्चा में लाने वाले उन के दोनों भाई इन दिनों जाने कहां लापता हो गए हैं।

(वरिष्ठ पत्रकार दयानंद पांडेय के फेसबुक वॉल से साभार,  ये लेखक के निजी विचार हैं)