शिवसेना की मोदी से बड़ी मांग, सर्जिकल स्ट्राइक की तरह हिम्मत दिखाएं पीएम, हो सकती है नई चर्चा शुरु

पीएम मोदी को ये सब करना होगा, ये भी सर्जिकल स्ट्राइक जितना ही हिम्मत का काम है, पड़ोसी देश श्रीलंका ने इसे किया है-सामना

New Delhi, May 01 : शिवसेना का मुखपत्र सामना एक बार फिर से सुर्खियों में है, दरअसल इसमें बुर्का पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है, जिसकी वजह से चर्चा हो रही है, सामना में लिखा गया है कि भीषण बम विस्फोट के बाद श्रीलंका में बुर्का और नकाब समेत चेहरा ढंकने वाली हर चीज पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये ये फैसला लिया गया है, हम इस फैसले का स्वागत करते हैं, साथ ही पीएम मोदी से अपील की गई है, कि श्रीलंका की तरह ही हिंदुस्तान में भी बुर्का और उसी तरह के नकाब को बैन करे, ये राष्ट्रहित के लिये जरुरी है।

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लेख में इन बातों का जिक्र
सामना में छपे लेख में फ्रांस का भी जिक्र किया गया है, कहा गया है कि फ्रांस में आतंकी हमला होते ही वहां की सरकार ने बुर्काबंदी की, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन में भी यही हुआ, फिर हमारा देश क्यों पीछे है, एक तो असंख्य मुस्लिम युवतियां बुर्का नकारना चाहती हैं, दूसरी बात ये है कि बुर्के की आड़ में निश्चित क्या चल रहा होता है, इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता।

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बुर्के का गलत इस्तेमाल
लेख के मुताबिक बुर्के का इस्तेमाल कर देशद्रोह और आतंक फैलाने के लिये किया जा रहा है, तुर्किस्तान इस्लामी देश है, लेकिन जैसे ही कमाल पाशा को ये संदेह हुआ कि बुर्के की आड़ में कुछ और ही हो रहा है, तो उसने तुरंत अपने देश में मुस्लिम युवकों की दाढी और बुर्के पर प्रतिबंध लगा दिया।

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सर्जिकल स्ट्राइक जितना जरुरी
सामना में आगे लिखा है कि पीएम मोदी को ये सब करना होगा, ये भी सर्जिकल स्ट्राइक जितना ही हिम्मत का काम है, पड़ोसी देश श्रीलंका ने इसे किया है, उन्होने एक रात में बुर्काबंदी का ऐलान कर दिया, चेहरा ढंकने वाली किसी भी बात से व्यक्ति की पहचान करने में मुश्किलें ना आए, इसलिये आपातकालीन नियमों के अनुसार इस तरह की बातों पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है। श्रीलंका के राष्ट्रपति ने घोषित किया है।

सार्वजनिक स्थलों पर ना हो इस्तेमाल
फेस मास्क या अन्य साधनों से चेहरा ढंकने वाले लोग देश की सुरक्षा के लिये खतरनाक साबित हो सकते हैं, इसलिये सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का या नकाब पहनना आपराधिक कार्य माना जाएगा, ऐसा घोषित करके श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने हिम्मत का काम किया है।