इस चुनाव में ‘आयेगा तो मोदी ही’ नारा सबसे अधिक बैक फ़ायर कर रहा है?
वैसे भी इस चुनाव में बिहार में कांग्रेस और जदयू को अपेक्षाकृत अधिक सीटें मिलती नजर आ रही हैं। तुलनात्मक रूप से अपने अग्रेसिव सहयोगियों राजद और भाजपा के मुकाबले।
New Delhi, May 05 : मुझे लगता है इस चुनाव में ‘आयेगा तो मोदी ही’ नारा सबसे अधिक बैक फ़ायर कर रहा है। यह चुप्पा मोदी विरोधियों को उकसा रहा है कि मोदी को आने नहीं देना है। जिन लोगों की नजर में मोदी का कोई विकल्प भी नहीं है, वे भी इस नारे की वजह से मोदी को हराने में जुटे हैं। अलग-अलग जगह वे अलग-अलग पार्टियों पर दाव खेल रहे हैं, कहीं कहीं तो निर्दलीयों का भी समर्थन कर दे रहे हैं। गांवों में भी यही दिखता है।
पिछ्ले साल तक गांवों में मोदी समर्थकों का नारा था, मोदी को कम से कम एक मौका और मिलना चाहिये, अब तक तो सबको देख ही लिया है। इस नारे पर कोई नाराज नहीं होता था। मगर जब कोई कहता है कि आयेगा तो मोदी ही, तो सामने वाले के अग्रेसिव अप्रोच के कारण मोदी को पसंद नहीं करने वाले कुछ लोग जवाब तो नहीं देते, मगर तय कर लेते हैं, इस बार मोदी नहीं।
खास कर मैने ग्रामीण इलाकों में अति पिछड़े वोटरों का व्यवहार देखा है, ये नीतीश के उम्मीदवार के पक्ष में तो एकजुट हो जा रहे हैं, मगर भाजपा के उम्मीदवार के पक्ष में अमूमन तब तक नहीं आते जब तक सामने राजद का कोई दबंग उम्मीदवार न हो। नीतीश इस बात को बखूबी समझ रहे हैं। उनके रुख से, खास कर मैं भी चौकीदार या वन्दे मातरम के नारों के वक़्त उनके व्यवहार से यह दिख रहा है।
वैसे भी इस चुनाव में बिहार में कांग्रेस और जदयू को अपेक्षाकृत अधिक सीटें मिलती नजर आ रही हैं। तुलनात्मक रूप से अपने अग्रेसिव सहयोगियों राजद और भाजपा के मुकाबले। इस चुनाव के बाद बिहार की राजनीति में कुछ बड़े बदलाव नजर आ सकते हैं। अगले साल होने वाले विधान सभा चुनाव के मद्देनजर।
(वरिष्ठ पत्रकार पुष्य मित्र के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)