पटना पत्रकार पिटाई- बाउंसरों के भरोसे लोगों को डराया तो जा सकता है ,राजनीति नहीं की जा सकती

तेज प्रताप यादव के पास न तो जनसमर्थन है न आत्मविश्वास। पार्टी और परिवार ने भी उनसे किनारा कर लिया है।

New Delhi, May 20 : क्या डरा हुआ इंसान नेता बन सकता है ? इसका सीधा जवाब “ना’ होगा। नेता बनने के लिए निडरता जरुरी है। और यह निडरता कमांडो / बॉडीगार्ड या बाउंसर नहीं ला सकते। यह दिल से आती है। सत्ता का साया आपको सुरक्षा गार्ड मुहैया करा सकती है, लेकिन निडर नहीं बना सकती। आत्मविश्वास और जन समर्थन से कोई भी व्यक्ति निडर और नेता बन सकता है।

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लेकिन तेज प्रताप यादव के पास न तो जनसमर्थन है न आत्मविश्वास। पार्टी और परिवार ने भी उनसे किनारा कर लिया है। ऐसे में उन्हें पत्रकारों से डर लगता है तो कोई आश्चर्य नहीं। शायद इसीलिए उन्हें बाउंसरों की जरुरत पड़ती है। बिहार में संभवतः वे अकेले राजनेता हैं जिन्होंने सरकारी गार्ड के अलावा अपनी सुरक्षा के लिए बाउंसर रखे हैं। उनके पिता लालू प्रसाद, जिन्हें वे अपना आदर्श मानते हैं, उन्हें कभी बाउंसर की जरुरत नहीं पड़ी। उनके छोटे भाई तेजस्वी को भी बाउंसर की जरुरत नहीं पड़ी। आखिरकार तेजप्रताप को ही बाउंसर की जरुरत क्यों पड़ी ? उन्हें किससे अपनी जान का भय है ?

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पटना के वेटनरी कॉलेज बूथ पर वोट देने पहुंचे तेजप्रताप के बाउंसरों ने जिस प्रकार वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट रंजन राही और कुछ अन्य पत्रकारों की पिटाई की उससे ये सारे सवाल उठ खड़े हुए हैं। मामला इतने पर ही ख़त्म नहीं हुआ। पिटाई के बाद उन्होंने प्राथमिकी भी दर्ज कराई है। प्राथमिकी में कहा गया है कि मीडियावालों ने उनकी गाड़ी को घेरकर जानलेवा हमला कर दिया। रंजन ने उनकी गाड़ी का शीशा फोड़ दिया। उसकी गिरफ़्तारी की मांग की गई है। जबकि घटना का वीडियो दिखाता है कि कैसे रंजन की पिटाई बाउंसरों द्वारा की जा रही है। रंजन के पैर पर तेज प्रताप की गाड़ी चढा दी गई थी। बार -बार कहने पर भी गाड़ी बैक नहीं की गई। और उल्टा उसकी पिटाई भी की गई। यह सारा कुछ VIP बूथ पर हुआ। हमेशा की तरह वहां मौजूद पुलिस मूक दर्शक ही बनी दिखी। रंजन पिटता रहा और तेज प्रताप गाड़ी में बैठे देखते रहे। जब पत्रकारों ने उनसे पूछा तो उन्होंने कहा कि उनकी हत्या की साजिश रची गई थी। जो पत्रकार उनकी बाईट के लिए घंटो इन्तजार करते हैं ,वे भला उनकी हत्या क्यों करेंगे ,यह समझ से परे है। इसी प्रकार के गैर जिम्मेदाराना बयान तेज प्रताप के नेता बनने में सबसे बड़ी बाधा है। वे कभी भी कुछ भी बोल सकते हैं। जहानाबाद में अपनी ही पार्टी के प्रत्याशी सुरेंद्र यादव को RSS का एजेंट बता दिया था।

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उनके इसी व्यवहार के चलते पार्टी ने उन्हें किनारे कर दिया है। उनके छोटे भाई पार्टी सम्हाल रहे हैं। तेज प्रताप को यह नहीं भूलना चाहिए कि आज वे जो भी हैं वह लालू प्रसाद की वजह से हैं, अपनी योग्यता से नहीं। बाउंसरों के भरोसे लोगों को डराया तो जा सकता है ,राजनीति नहीं की जा सकती। राजनीति जनता का भरोसा और विश्वास जीत कर ही की जा सकती है। जो उनके पिता ने किया या उनके भाई कर रहे हैं। बाउंसरों की पिटाई से रंजन को जितनी चोट नहीं आई उससे कई गुना ज्यादा तेजप्रताप और उनकी पार्टी की साख गिरी है। लोगों के जेहन में RJD शासन के पुराने दिनों की यादें एकबार फिर ताजा हो आई हैं।

क्या डरा हुआ इंसान नेता बन सकता है ? इसका सीधा जवाब "ना' होगा। नेता बनने के लिए निडरता जरुरी है। और यह निडरता कमांडो / बॉडीगार्ड या बाउंसर नहीं ला सकते। यह दिल से आती है। सत्ता का साया आपको सुरक्षा गार्ड मुहैया करा सकती है, लेकिन निडर नहीं बना सकती। आत्मविश्वास और जन समर्थन से कोई भी व्यक्ति निडर और नेता बन सकता है। लेकिन तेज प्रताप यादव के पास न तो जनसमर्थन है न आत्मविश्वास। पार्टी और परिवार ने भी उनसे किनारा कर लिया है। ऐसे में उन्हें पत्रकारों से डर लगता है तो कोई आश्चर्य नहीं। शायद इसीलिए उन्हें बाउंसरों की जरुरत पड़ती है। बिहार में संभवतः वे अकेले राजनेता हैं जिन्होंने सरकारी गार्ड के अलावा अपनी सुरक्षा के लिए बाउंसर रखे हैं। उनके पिता लालू प्रसाद, जिन्हें वे अपना आदर्श मानते हैं, उन्हें कभी बाउंसर की जरुरत नहीं पड़ी। उनके छोटे भाई तेजस्वी को भी बाउंसर की जरुरत नहीं पड़ी। आखिरकार तेजप्रताप को ही बाउंसर की जरुरत क्यों पड़ी ? उन्हें किससे अपनी जान का भय है ?पटना के वेटनरी कॉलेज बूथ पर वोट देने पहुंचे तेजप्रताप के बाउंसरों ने जिस प्रकार वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट रंजन राही और कुछ अन्य पत्रकारों की पिटाई की उससे ये सारे सवाल उठ खड़े हुए हैं। मामला इतने पर ही ख़त्म नहीं हुआ। पिटाई के बाद उन्होंने प्राथमिकी भी दर्ज कराई है। प्राथमिकी में कहा गया है कि मीडियावालों ने उनकी गाड़ी को घेरकर जानलेवा हमला कर दिया। रंजन ने उनकी गाड़ी का शीशा फोड़ दिया। उसकी गिरफ़्तारी की मांग की गई है। जबकि घटना का वीडियो दिखाता है कि कैसे रंजन की पिटाई बाउंसरों द्वारा की जा रही है। रंजन के पैर पर तेज प्रताप की गाड़ी चढा दी गई थी। बार -बार कहने पर भी गाड़ी बैक नहीं की गई।और उल्टा उसकी पिटाई भी की गई। यह सारा कुछ VIP बूथ पर हुआ। हमेशा की तरह वहां मौजूद पुलिस मूक दर्शक ही बनी दिखी। रंजन पिटता रहा और तेज प्रताप गाड़ी में बैठे देखते रहे। जब पत्रकारों ने उनसे पूछा तो उन्होंने कहा कि उनकी हत्या की साजिश रची गई थी। जो पत्रकार उनकी बाईट के लिए घंटो इन्तजार करते हैं ,वे भला उनकी हत्या क्यों करेंगे ,यह समझ से परे है। इसी प्रकार के गैर जिम्मेदाराना बयान तेज प्रताप के नेता बनने में सबसे बड़ी बाधा है। वे कभी भी कुछ भी बोल सकते हैं। जहानाबाद में अपनी ही पार्टी के प्रत्याशी सुरेंद्र यादव को RSS का एजेंट बता दिया था।उनके इसी व्यवहार के चलते पार्टी ने उन्हें किनारे कर दिया है। उनके छोटे भाई पार्टी सम्हाल रहे हैं। तेज प्रताप को यह नहीं भूलना चाहिए कि आज वे जो भी हैं वह लालू प्रसाद की वजह से हैं, अपनी योग्यता से नहीं। बाउंसरों के भरोसे लोगों को डराया तो जा सकता है ,राजनीति नहीं की जा सकती। राजनीति जनता का भरोसा और विश्वास जीत कर ही की जा सकती है। जो उनके पिता ने किया या उनके भाई कर रहे हैं। बाउंसरों की पिटाई से रंजन को जितनी चोट नहीं आई उससे कई गुना ज्यादा तेजप्रताप और उनकी पार्टी की साख गिरी है। लोगों के जेहन में RJD शासन के पुराने दिनों की यादें एकबार फिर ताजा हो आई हैं।

Posted by Pravin Bagi on Sunday, May 19, 2019

(वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)