मोदी सरकार में शामिल ना हो नीतीश ने चली दूर की चाल, तैयार है मास्टरप्लान

नीतीश अपने कैबिनेट विस्तार के जरिये पिछड़ों और अति पिछड़े वोटरों को साधने की कोशिश में हैं, प्रदेश में 50 फीसदी से ज्यादा वोट पिछड़ा और अति पिछड़ों का है।

New Delhi, Jun 02 : नीतीश कुमार की पार्टी के मोदी सरकार में शामिल नहीं होने के फैसले पर बिहार की सियासत गर्मा गई है, सीएम और जदयू प्रमुख नीतीश कुमार ने केन्द्र में मोदी सरकार के भीतर अब कभी भी मंत्री पद नहीं लेने की बात कह संकेत दे दिये हैं, कि अब उनका निशाना दिल्ली नहीं बल्कि पटना है। अब पटना में वो बड़े भाई की भूमिका में दिखना चाहते हैं, इसलिये वो अपने समीकरण दुरुस्त करने में लग गये हैं, मोदी सरकार के कैबिनेट शपथ लेने के तीन दिन बाद ही नीतीश भी बिहार में अचानक अपनी सरकार का विस्तार करने का फैसला ले लिया है।

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सांकेतिक भागीदारी नहीं चाहिये
आपको बता दें कि रविवार को नीतीश की अगुवाई वाली बिहार की एनडीए सरकार का विस्तार किया जाएगा, सूत्रों के मुताबिक 6 मंत्रियों को शपथ दिलाया जाएगा, ये सभी जदयू से होंगे, हालांकि जदयू का तर्क है कि बीजेपी कोटे के मंत्री पहले ही बनाये जा चुके हैं, हाल में जो भी मंत्री पद खाली हुआ है, वो सभी जदयू के कोटे का है, लेकिन फिलहाल जो सियासी परिस्थिति है, उसने बिहार की राजनीतिक पारा को आसमान पर पहुंचा दिया है।

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समीकरण दुरुस्त करने में लगे
सूत्रों का कहना है कि नीतीश अपने कैबिनेट विस्तार के जरिये पिछड़ों और अति पिछड़े वोटरों को साधने की कोशिश में हैं, प्रदेश में 50 फीसदी से ज्यादा वोट पिछड़ा और अति पिछड़ों का है, बीजेपी ने मोदी सरकार में जिन पांच नेताओं को मंत्री पद दिया है, उनमें से चार सवर्ण जाति से हैं, तो नित्यानंद राय के रुप में एक मात्र पिछड़े समुदाय के नेता हैं, नित्यानंद राय अहीर (यादव) जाति से आते हैं।

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पिछड़ों के पैरोकार बनने की कोशिश
मोदी सरकार वन में रामकृपाल यादव मंत्री थी, इस बार उनकी जगह नित्यानंद राय को जगह दी गई है, गिरिराज सिंह भूमिहार समाज से आते हैं, तो आरके सिंह राजपूत हैं, रविशंकर प्रसाद कायस्थ हैं, तो अश्विनी कुमार चौबे ब्राह्मण, केन्द्र में जदयू को सिर्फ एक पद ऑफर किया गया था, जिसके बाद नीतीश कुमार ने उन्हें मना कर दिया, अब सुशासन बाबू सीटों के मुताबिक मंत्री पद की बात कह रहे हैं, साथ ही अपने कैबिनेट में पिछड़ों को स्थान देकर उन्हें साधने की जुगत में लग गये हैं।

पिछड़े समाज को जोड़ने की कोशिश में जदयू
मंत्री पद को लेकर उठे मसले के बाद एनडीए में किसी भी तरह के विवाद होने की बात से इंकार करते हुए जदयू ने बस इतना कहा, कि पार्टी अगले एक साल संगठन पर पूरा फोकस करेगी, खासकर पिछड़े समुदाय के लोगों के लंबित कामों को पूरा करने की कोशिश करेगी, बिहार में अगले साल सितंबर-अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं।