Opinion – इसलिए विफल हुई सांसद आदर्श ग्राम योजना
आदर्श ग्राम योजना की शुरूआत करके नरेंद्र मोदी ने सैकड़ों योजनाओं में लूट की कहानी जाने -अनजाने बाहर लाने की पृष्ठभूमि तैयार कर दी। इसके लिए उन्हें धन्यवाद !
New Delhi, Jun 02 : प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी आदर्श ग्राम योजना
क्यों विफल हो गई ? अपवादस्वरूप ही कुछ गांव आदर्श बन सके। विफलता के कारण का पता आम लोगों को तो चल गया। पर क्या मोदी सरकार भी जान सकी है ? यदि नहीं जान सकी है तो जान ले। केंद्र और राज्य सरकारें देश के विकास व कल्याण के लिए सैकड़ों योजनाएं निरंतर चलाती रहती हैं।
नरेंद्र मोदी चाहते थे कि उन्हीं योजनाओं के पैसों से बारी- बारी से गांवों को आदर्श बनवा दिया जाए। सांसद निगरानी रखेंगे तो बेहतर काम होगा। अलग से इसके लिए कोई फंड आवंटित नहीं हुआ। अब सवाल है कि जो सैकड़ों योजनाएं हैं, उनमें से कितनी सरजमीन तक पहुंच पाती हैं ?
बहुत ही कम।
बाकी के पैसों की अफसरों, नेताओं, ठेकेदारों के बीच बंदरबांट हो जाती है। स्थानीय सांसद, जिन्हें गांव गोद लेने के लिए कहा गया था, में यह नैतिक बल तो है नहीं कि वे संबंधित अफसरों पर दबाव डाल कर उन सैकड़ों योजनाओं के लाभ गांव तक पहुंचवाते ! क्योंकि अधिकतर सांसद तो सांसद फंड से नजराना स्वीकारने के कारण उन अफसरों के सामने लजाए रहते हैं।हालांकि सब नजराना नहीं लेते।
हां, आदर्श ग्राम योजना की शुरूआत करके नरेंद्र मोदी ने सैकड़ों योजनाओं में लूट की कहानी जाने -अनजाने बाहर लाने की पृष्ठभूमि तैयार कर दी। इसके लिए उन्हें धन्यवाद ! यदि वे देर सवेर इस लूट को रोकने का कोई ठोस उपाय करेंगे तो उन्हें आम लोगों की ओर से भी धन्यवाद मिलेगा। भ्रष्टाचार के खिलाफ उनके अभियान को देखते हुए लगता तो हैं कि वे इस संस्थागत भ्रष्टाचार को भी समाप्त करेंगे। या कम करेंगे।
(वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र किशोर के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)