चंद्रबाबू को मोदी-शाह का साथ छोड़ना पड़ा महंगा, धीरे-धीरे ढह रहा किला

चंद्रबाबू नायडू ने 2018 में एनडीए से अलग होने का ऐलान किया, केन्द्र सरकार से अपने मंत्रियों का इस्तीफा दिलाया।

New Delhi, Jun 21 : लोकसभा चुनाव में मोदी की सुनामी चली, और ऐसी चली, कि सभी अनुमानों को भी पार करते हुए बीजेपी ने प्रचंड जीत हासिल की, बीजेपी की बंपर जीत ने देश की राजनीति में भूचाल ला दिया है। दिन ब दिन राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है। अब टीडीपी के 6 में से 4 राज्यसभा सांसदों ने पाला बदल लिया है, वो अब चंद्रबाबू का साथ छोड़ बीजेपी के पाले में आ गये हैं।

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चुनाव बाद बीजेपी के खिलाफ खेमेबंदी
आपको बता दें कि चंद्रबाबू पहले एनडीए का हिस्सा थे, लेकिन कुछ कारणों से उन्होने एनडीए का साथ छोड़ दिया, उन्हें मनाने के लिये मोदी-शाह ने भरपूर कोशिश की, लेकिन नहीं मानें, इसके बाद लोकसभा चुनाव के बाद उन्होने गैर बीजेपी और कांग्रेस दलों के नेताओं से मुलाकात कर उन्हें लामबंद करने की कोशिश की, हालांकि जब चुनाव परिणाम आये, तो उनकी सीएम की कुर्सी भी चली गई, आंध्र प्रदेश की जनता ने जगन मोहन रेड्डी को जबरदस्त बहुमत मिला।

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28 साल की उम्र में पहली बार विधायक
चंद्रबाबू नायडू कॉलेज के दिनों से ही राजनीति में दिलचस्पी लेते थे, अपने नेतृत्व क्षमता और काबिलियत के बल पर वो यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष हो गये थे, 1978 में पहली बार 28 साल की उम्र में चित्तूर विधानसभा सीट से चुनाव जीते और विधायक बने, किसान परिवार में पैदा हुए चंद्रबाबू 1995 में पहली बार आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, 2014 विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी टीडीपी ने 175 में से 102 सीटें हासिल की थी।

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पीएम ने मिलने का समय नहीं दिया
चंद्रबाबू नायडू ने 2018 में एनडीए से अलग होने का ऐलान किया, केन्द्र सरकार से अपने मंत्रियों का इस्तीफा दिलाया, उन्होने कहा था उन्होने 29 बार पीएम से मिलने का समय मांगा, लेकिन उन्हें समय नहीं दिया गया, आंध्र प्रदेश के लिये केन्द्र से आर्थिक मदद की गुहार लगा रहे, लेकिन सच्चाई कुछ और ही थी, राजनीतिक पंडितों के मुताबिक वो विपक्ष के मिलकर अपनी भूमिका तलाश रहे थे, चुनाव से पहले जब महागठबंधन के भावी प्रधानमंत्रियों के नामों का जिक्र हो रहा था, तो उसमें चंद्रबाबू नायडू की नाम भी शामिल था, हालांकि समय ऐसे बदला कि अब वो सीएम भी नहीं रहे।

2019 में पार्टी के लिये बुरा दौर
आपको बता दें कि 2019 में लोकसभा चुनाव के साथ-साथ आंध्र प्रदेश में विधानसभा चुनाव भी हुए। चंद्रबाबू नायडू को जनता ने नकार दिया, पार्टी विधानसभा में सिर्फ 23 सीटों पर सिमट गई, तो लोकसभा में भी सिर्फ तीन सीटें आई, जबकि 2014 में 15 सीटें जीती थी, अब 6 राज्यसभा सांसदों में से 4 ने बीजेपी का दामन थाम लिया है।