कश्मीरी नौजवान कौन से स्वर्ग (बहिरत) के लिए खून बहा रहे हैं ?

जरा याद करें कि इन अलगाववादी नेताओं से उस निरंतर संवाद का ही प्रभाव था कि राव साहब ने लाल किले से अपने भाषण में कहा था कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है लेकिन कश्मीर के लिए स्वायत्तता की सीमा असीम है, आकाश की तरह।

New Delhi, Jun 24 : जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कश्मीर के बदलते हुए हालात पर बहुत ही आशावादी टिप्पणी की है। उनका कहना है कि हुर्रियत के नेता अब कश्मीर के मसले को बातचीत से हल करना चाहते हैं। वे खुद नहीं चाहते कि कश्मीर के नौजवान फिजूल में अपना खून बहाएं। कश्मीरी नौजवान कौनसे स्वर्ग (बहिरत) के लिए खून बहा रहे हैं ? कश्मीर तो खुद स्वर्ग ही है, जैसा कि बादशाह जहांगीर कहा करते थे।

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यदि वे अच्छे मुसलमान बनकर यहां रहें तो वे एक नहीं, दो-दो स्वर्गों के हकदार बन सकते हैं। मरने के बाद कौन कहां, जाएगा, किसे पता है ? यदि कश्मीर में शांति रहे तो वह भारत का सर्वश्रेष्ठ राज्य बन सकता है। इस टिप्पणी के साथ मलिक ने हुर्रियत के प्रमुख मीरवाइज उमर फारुक के इस बयान की भी तारीफ की है कि कश्मीरी नौजवान नशीली दवाइयों से दूर रहें।
मलिक के इस बयान ने भारत सरकार और हुर्रियत के बीच संवाद के दरवाजे खोल दिए हैं। हुर्रियत के नेताओं से पीवी नरसिंहराव और अटलबिहारी वाजपेयी की सरकार का भी सतत संवाद चलता रहता था, हालांकि उसका ज्यादा प्रचार नहीं होता था। उन दिनों हुर्रियत का दफ्तर मालवीय नगर में होता था और मैं प्रेस एनक्लेव में रहता था।

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हुर्रियत के अध्यक्ष प्रो. अब्दुल गनी बट्ट तथा अन्य नेता अक्सर मेरे घर पैदल ही आ जाते थे और फोन पर हमारे प्रधानमंत्रियों से उनका संपर्क हो जाता था। जरा याद करें कि इन अलगाववादी नेताओं से उस निरंतर संवाद का ही प्रभाव था कि राव साहब ने लाल किले से अपने भाषण में कहा था कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है लेकिन कश्मीर के लिए स्वायत्तता की सीमा असीम है, आकाश की तरह। यही बात मैं ‘पाकिस्तानी कश्मीर’ के कई प्रधानमंत्रियों को इस्लामाबाद और न्यूयार्क में कह चुका हूं। बेनजीर भुट्टो, नवाज शरीफ और जनरल मुशर्रफ से जब-जब मेरी बात हुई, मैंने उनसे यही कहा कि मैं कश्मीर की आजादी का उतना ही समर्थक हूं, जितना कि भारत और पाकिस्तान की आजादी का ! कश्मीर न हमारा गुलाम होकर रहे और न ही आपका ! लेकिन उसका अलगाव तो उसकी गुलामी के अलावा कुछ नहीं है। मैं हर कश्मीरी को श्रीनगर और मुजफ्फराबाद में उसी तरह आजाद देखना चाहता हूं, जैसे कि मैं दिल्ली में आजाद हूं या जैसे इमरान खान इस्लामाबाद में आजाद हैं।

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मेरे लिए हर कश्मीरी की आजादी, चाहे वह पाकिस्तान में रहता हो या हिंदुस्तान में रहता हो, उतनी ही कीमती है, जितनी मेरी अपनी आजादी है। मैं तो चाहता हूं कि भारत और पाकिस्तान के बीच आज जो कश्मीर एक खाई बना हुआ है, वह एक सेतु बन जाए। कश्मीर का मसला हल हो जाए तो संपूर्ण दक्षिण एशिया को हम दुनिया का सबसे मालदार और सबसे सुखी इलाका जल्दी ही बना सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के लिए यह एतिहासिक उपलब्धि होगी कि वे बातचीत के जरिए कश्मीर का मसला हल कर दें, जो आज तक कोई सरकार नहीं कर सकी।
(वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)