Opinion – पश्चिम बंगाल में जन्म से लेकर श्मशान घाट तक लोगों को ‘कट मनी’ का संकट झेलना पड़ता है

पर कट मनी की समस्या दूसरे तरह से अन्य राज्यों में मौजूद है। पर पश्चिम बंगाल तरह न तो हर जगह राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है और न ही संस्थागत रूप हासिल है।

New Delhi, Jul 04 : तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों के विरोध के बीच भाजपा की लाॅकेट चटर्जी ने मंगल वार को लोक सभा में कहा कि पश्चिम बंगाल में जन्म से लेकर श्मशान घाट तक लोगों को ‘कट मनी’ का संकट झेलना पड़ता है। इससे पहले मुख्य मंत्री ममता बनर्जी ने ‘कट मनी’ लौटाने का अपने कार्यकत्र्ताओं को निदेश देकर कट मनी की वास्तविकता का पक्का सबूत दे दिया था।

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कट मनी लौटाने और न लौटा पाने को लेकर पश्चिम बंगाल के जन जीवन में इन दिनों में तूफान आया हुआ है। देखना है कि अगले पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव पर इस तूफान का कितना असर पड़ता है।

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पर कट मनी की समस्या दूसरे तरह से अन्य राज्यों में मौजूद है। पर पश्चिम बंगाल तरह न तो हर जगह राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है और न ही संस्थागत रूप हासिल है। बताया जाता है कि वहां तो ममता बनर्जी के सत्ता में आने से पहले से यह परंपरा जारी है।

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क्या ही अच्छा हो कि एक आयोग बने जो इस बात की जांच करे कि देश के किस हिस्से में जनता से संबंधित सरकारी काम बिना कट मनी के हो रहे हैं। जहां नहीं हो रहे हों, वहां के सरकारी अफसरों-कर्मचारियों को सरकार पुरस्कार दे और उन्हें सार्वजनिक रूप से सम्मनित करे। इसमें सांसद-विधायक फंड को भी शामिल कर लिया जाना चाहिए।

(वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र किशोर के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)