आप विश्वकप मैच में बिजी रहे, इधर कर्नाटक में हो गया खेल, बीजेपी तीन दिनों में बना सकती है सरकार
कांग्रेस और जेडीएस नेताओं के पास कर्नाटक में मची उठा-पटक से निपटने के लिये अभी भी 3 दिनों का समय है।
New Delhi, Jul 07 : कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन सरकार पर संकट गहरा गया है, गठबंधन के 14 विधायक शनिवार को विधानसभा स्पीकर के पास इस्तीफा देने पहुंच गये, तो दोनों ही दलों के नेताओं के बीच तल्खियां साफ देखने को मिली, हालांकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि प्रदेश में सबकुछ ठीक है, सरकार पर किसी भी तरह का खतरा नहीं है, विधायकों के इस्तीफे के बीच जो बात हर किसी को खटक रही है, वो है पार्टी के वरिष्ठ और वफादार माने जाने वाले रामलिंगा रेड्डी का विद्रोहियों से हाथ मिलाना, कांग्रेस का कहना है कि रामलिंगा रेड्डी को अगर साध लिया, तो बागी विधायक अपने फैसले बदल लेंगे, कांग्रेस ने रामलिंगा रेड्डी को मनाने के लिये अपनी पूरी ताकत लगा दी है।
14 विधायक इस्तीफा देने पहुंचे
मालूम हो कि शनिवार को 14 विधायक विधानसभा स्पीकर के पास इस्तीफा देने पहुंचे थे, जिनमें तीन जे़डीएस और 11 कांग्रेस के विधायक हैं, जैसे ही विधायकों के इस्तीफे की बात दिल्ली पहुंची, तुरंत हाईकमान ने वहां के नेताओं से संपर्क साधा, जिसके बाद डिप्टी सीएम जी परमेश्वर और मंत्री डी के शिवकुमार लने कांग्रेस विधायकों की आपात बैठक बुलाई।
तीन दिन का समय
कांग्रेस और जेडीएस नेताओं के पास कर्नाटक में मची उठा-पटक से निपटने के लिये अभी भी 3 दिनों का समय है। अगर इन तीन दिनों में मामला सुलझ जाता है, तो ठीक है, नहीं तो प्रदेश को नई सरकार मिल सकती है, इस्तीफे की खबर के बाद शनिवार शाम को कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल बंगलुरु पहुंचे।
आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी
कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम सिद्धारमैया ने इस बगावत के लिये डिप्टी सीएम परमेश्वर को जिम्मेदार बताया है, उन्होने कहा कि रामलिंगा रेड्डी ने उन्हें बताया था कि वो पार्टी के सबसे वरिष्ठ विधायक हैं, मैंने परमेश्वर से कहा था कि बंगलुरु से संबंधित कोई भी निर्णय लेते समय उनसे भी चर्चा करें, लेकिन उन्होने कहा था कि वो खुद वरिष्ठ नेता हैं, उन्हें रामलिंगा रेड्डी से मार्गदर्शन की जरुरत नहीं है, बैठक में दोनों ने एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगाये, जिसके बाद वेणुगोपाल ने दोनों को शांत कराया।
क्या होगा विधानसभा का हाल
शनिवार को हुए इस्तीफे से पहले 224 सदस्यों वाली विधानसभा में 78 सीट कांग्रेस, 37 जेडीएस, 1 बसपा, दो निर्दलीय और 105 बीजेपी के सदस्य हैं, गठबंधन का दावा है कि उनके पास 118 विधायकों का समर्थन है, अगर इस्तीफे स्वीकार हो जाते हैं, तो सदन के कुल विधायकों की संख्या घटकर 210 हो जाएगी, इसके बाद बहुमत का आंकड़ा 106 हो जाएगा, यानी बीजेपी को जादूई आंकड़ा छूने के लिये सिर्फ 1 विधायक की जरुरत होगी।