पिछले 4 सालों से महेन्द्र सिंह धोनी के साथ है ये परेशानी, इसलिये खतरे में है करियर

महेन्द्र सिंह धोनी का ताजा एकदिवसीय रिकॉर्ड भी उनके खिलाफ जा रहा है, साल 2015 से उनका प्रदर्शन लगातार नीचे जा रहा है।

New Delhi, Jul 18 : धोनी, भारत का एक ऐसा क्रिकेटर जिसने अपने 15 साल के करियर में कई इतिहास रचे, भारतीय क्रिकेट फैंस को गर्व के कई पल दिये, एक ऐसा कप्तान जिसने टीम को एक बार नहीं बल्कि दो बार विश्व चैंपियन बनाया, एक ऐसा बल्लेबाज जो पीछे बल्लेबाजी के लिये आकर हारी बाजी जिताई, हालांकि अब माही के भीतर वो मैजिक नहीं रहा, धोनी अब अपने करियर के ढलान पर हैं, इसलिये अब लगातार संन्यास की मांग तेज होती जा रही है, हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि धोनी में अभी भी जान बाकी हैं, वो कम से कम अगले साल टी-20 विश्वकप तक टीम का हिस्सा रह सकते हैं, लेकिन आंकड़े कुछ और ही गवाही दे रहे हैं।

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बेहद खराब टी-20 रिकॉर्ड
सबसे पहले बात करते हैं महेन्द्र सिंह धोनी के टी-20 रिकॉर्ड की, जो बेहद खराब है, वैसे तो धोनी ने अपने टी-20 करियर में 37.6 के औसत से 1617 रन बनाये हैं, लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि वो 42 बार नॉट आउट रहे हैं, अगर आप उन पारियों के हिसाब के औसत निकालेंगे, तो उनका औसत महज 19.02 का हो जाएगा। इस प्रारुप में धोनी ने सिर्फ 2 अर्धशतक लगाये हैं, स्टॅाइक रेट 126.13 का है, जो उनके आईपीएल स्ट्राइक रेट से 14 कम है।

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वनडे रिकॉर्ड
धोनी का ताजा एकदिवसीय रिकॉर्ड भी उनके खिलाफ जा रहा है, साल 2015 से उनका प्रदर्शन लगातार नीचे जा रहा है, 2016 और 2018 तो उनके करियर के सबसे खराब सालों में से एक रहा, 2016 में उन्होने 27.8 के मामूली औसत से सिर्फ 278 रन बनाये, तो 2018 में उनका औसत गिरकर 25 हो गया, हालांकि 2017 उनके लिये अच्छा रहा, उन्होने 60.61 के औसत से रन बनाये, लेकिन धोनी का औसत ही नहीं बल्कि उनका स्ट्राइक रेट भी टीम के लिये चिंता का विषय बना हुआ है।

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4 साल से स्ट्राइक रेट कम
पिछले 4 सालों से धोनी का स्ट्राइक रेट भी नीचे आ गया है, 2018 में उन्होने 71.42 के स्ट्राइक रेट से बल्लेबाजी की, 2019 में दोनी ने चेज करते हुए 8 पारियों में 404 रन जरुर बनाये, लेकिन उनका स्ट्राइक रेट महज 76.66 का रहा, 2019 विश्वकप में तो चेज करते हुए वो टीम को दो मैचों में जिताने में नाकाम रहे, पहला मैच था इंग्लैंड के खिलाफ और दूसरा न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल। आंकड़ों से साफ है कि धोनी के भीतर अब पहले जैसी रनों की भूख नहीं रही, शायद इसी वजह से उन्हें संन्यास की सलाह दी जा रही है।