दिल की बात कहने के लिये शीला दीक्षित ने किया था 1 घंटे डीटीसी बस में सफर

शीला दीक्षित के चुनावी करियर की शुरुआत साल 1984 में शुरु हुई, पहली बार वो कन्नौज लोकसभा सीट से सांसद बनीं।

New Delhi, Jul 21 : दिल्ली की पूर्व सीएम और कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित का 81 साल की उम्र में निधन हो गया, दिल्ली के एस्कॉर्ट अस्पताल में उन्होने आखिरी सांस ली, शनिवार दोपहर करीब 3.55 बजे उन्होने दुनिया को अलविदा कह दिया, कद्दावर नेता शीला दीक्षित को कांग्रेस में एक प्रभावशाली व्यक्तित्व के तौर पर देखा जाता है, लगातार तीन बार सीएम रह चुकी शीला जी से जब उनकी उपलब्धि के बारे में पूछा गया था, तो उन्होने कहा था पहला मेट्रो, दूसरा सीएनजी और तीसरा दिल्ली की हरियाली, स्कूलों और अस्पतालों के लिये काम करना। आइये उनके जीवन के पांच महत्वपूर्ण किस्सों के बारे में आपको बताते हैं।

Advertisement

इतनी बार देखी डीडीएलजे
शीला दीक्षित सिनेमा देखने की बेहद शौकीन थीं, उन्होने सुपरस्टार शाहरुख खान की फिल्म दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे कई बार देखी, बताया जाता है कि पूर्व सीएम ने ये फिल्म इतनी ज्यादा बार देखी थी, कि उनके घर वालों को कहना पड़ा था कि अब बस बसो, एक ही फिल्म इतनी बार मत देखो।

Advertisement

15 साल की शीला दीक्षित नेहरु से मिलने पहुंची
शीला दीक्षित ने अपनी आत्मकथा सिटीजन दिल्ली- माय टाइम्स माय लाइफ में इस बात का जिक्र किया है, कि जब वो देश के पहले पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरु से मिलने पहुंची थी, तो पैदल गई थी, वो दिल्ली में अपने घर से निकली और पैदल ही तीन मूर्ति भवन पहुंच गई, जब वहां मौजूद गार्ड ने उनसे पूछा कि आप किससे मिलने जा रहे हैं, तो शीला दीक्षित ने कहा ता पंडित जी से, उसी समय नेहरु जी अपने एंबेसडर कार से कहीं बाहर जाने के लिये निकल रहे थे, शीला जी ने उन्हें देख अपना हाथ हिलाया, तो अभिवादन स्वीकार करते हुए पंडित नेहरु ने भी हाथ हिलाया, तब शीला दीक्षित 15 साल की थी।

Advertisement

दिल की बात कहने के लिये बस का सफर
एक इंटरव्यू में पूर्व सीएम ने अपनी लव स्टोरी के बारे में बताया था, उन्होने कहा था कि हम इतिहास की एमए क्लास में साथ-साथ थे, तब मुझे विनोद कुछ ज्यादा अच्छे नहीं लगे, तब मुझे लगा था कि ये पता नहीं खुद को क्या समझते हैं, वो मुझे एरोगेंट लगे, इसके बाद हमारी दोस्ती हुई, मेरी एक दोस्त और विनोद का एक दोस्त प्रेमी प्रेमिका थे, हमने एक बार उनके झगड़े को सुलझाया था, इसके बाद हम मिलने लगे, शीला जी और विनोद दीक्षित एक साथ अकसर फिरोजशाह रोड घूमने जाया करते थे, एक बार डीटीसी बस नंबर दस में दोनों चांदनी चौक के पास से गुजर रहे थे, तो विनोद ने कहा कि मैं अपनी मां से कहने वाला हूं, कि मैं जिस लड़की को पसंद करता हूं, वो तुम हो, विनोद दीक्षित ने उसी दिन शीला जी को शादी के लिये प्रपोज किया था, शुरुआत में विनोद के घर में थोड़ा विरोध हुआ, लेकिन फिर दोनों ने शादी कर ली।

कन्नौज से बनीं सांसद
शीला दीक्षित के चुनावी करियर की शुरुआत साल 1984 में शुरु हुई, पहली बार वो कन्नौज लोकसभा सीट से सांसद बनीं, कहा जाता है कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश भर में कांग्रेस के लिये सहानुभूति थी, हालांकि इस लहर के बावजूद शीला दीक्षित चुनाव हार गई थी, इसके बावजूद राजीव गांधी की कैबिनेट में उन्हें संसदीय कार्यमंत्री के रुप में जगह मिली।

23 दिन जेल में बिताये
शीला दीक्षित ने साल 1990 में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार को लेकर किये गये आंदोलन के लिये अपने 82 सहयोगियों के साथ गिरफ्तार किया गया था, उन्हें 23 दिन जेल में बिताने पड़े, दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस से हिस्ट्री में मास्टर्स की डिग्री हासिल करने वाले शीला दीक्षित ने 1984 से 1989 तक संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व किया।