3 तलाक बिल पर भिड़े उमर अब्‍दुल्‍ला और महबूबा मुफ्ती, एक दूसरे पर लगाए आरोप-प्रत्‍यारोप

ट्रिपल तलाक बिल राज्यसभा में पास हो गया है । जिसके बाद से इसे लेकर सोशल मीडिया पर संग्राम छिड़ गया है, ट्विटर पर महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला में जबरदस्‍त वॉर देखने को मिली ।

New Delhi, Jul 31 : तीन तलाक विधेयक आखिरकार मंगलवार को राज्यसभा में पारित कर दिया गया । विधेयक पास होने के बाद से ही सोशल मीडिया में इसे लेकर ट्वीट्स बाढ़ आ गई हे । बिल के धुर विरोधी असदुद्दीन ओवैसी की एक भी दलील बिल के सामने नहीं चली । ओवैसी ने बिल पास होने के बाद ट्वीट कर न्‍यायपालिका पर अपना भरोसा जताया । वहीं बिल पास होने के बाद एक युद्ध पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला के बीच ट्विटर पर देखने को मिला ।

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15 वोट से बिल पारित
तीन तलाक बिल मंगलवार को राज्यसभा में 15 वोट से पास हो गया । बिल के पक्ष में 99, और विपक्ष में 84 वोट पड़े । सदन में फाइनल वोटिंग के समय कुल 183 सांसद मौजूद थे । सरकार को बिल पास करवाने के लिए 92 वोट चाहिए थे । राज्यसभा में विपक्षी दल बिल के खिलाफ एकजुट नहीं हो पाया, विपक्ष के 31 सांसदों ने वोटिंग में हिस्सा ही नहीं लिया । वहीं बीएसपी, सपा, एनसीपी और पीडीपी ने बिल का बॉयकट किया ।

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मुफ्ती और अब्‍दुल्‍ला भिड़े
बिल पास होने के बाद पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला के  बीच ट्विटर वार देखने को मिली । उमर अब्दुल्ला ने पीडीपी प्रमुख पर एनडीए का समर्थन करने का आरोप लगाया । हालांकि विवाद की शुरुआत पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती के एक ट्वीट से ही हुई । मुफ्ती ने बिल पास होने के बाद ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा – “तीन तलाक बिल को पास कराने की जरूरत को समझने में नाकाम हूं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही इसे अवैध करार दिया था । मुस्लिम समुदाय को दंडित करने के लिए अनावश्यक का हस्तक्षेप है।”

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उमर अब्‍दुल्‍ला का जवाब
महबूबा के ट्वीट के बाद उमर अब्दुल्ला ने जवाब देते हुए लिखा – “महबूबा मुफ्ती जी, आप को यह चेक करना चाहिए कि इस ट्वीट से पहले आपके सदस्यों ने कैसे वोट किया । मुझे लगता है कि उन्होंने सदन में अनुपस्थित रहकर सरकार की मदद की क्योंकि बिल पास कराने के लिए उन्हें सदन में नंबर चाहिए थे।” उमर के इस तंज के बाद महबूबा का पलटवार आया । लिखा –  “उमर साहब, मेरा सुझाव है कि आप नैतिकता का ऊंचा पाठ पढ़ाना बंद कर दीजिए क्योंकि यह आपकी अपनी ही पार्टी थी जिसने 1999 में बीजेपी के खिलाफ मतदान करने के लिए सोज साहब (सैफुद्दीन सोज) को पार्टी से निष्कासित कर दिया था।”

वार पर वार
इसके बाद भी ये वॉर थमी नहीं । अब्दुल्ला ने फिर से जवाब देते हुए लिखा – “मैडम, अगर 20 साल पुरानी घटना को याद करके आप पीडीपी के छल का बचाव कर सकती हैं तो करिए? इसलिए आप स्वीकार कर रही है कि आपने अपने सांसदों को सदन से गैरहाजिर रहने का निर्देश दिया था और इस गैर-मौजूदगी ने इस बार बीजेपी की मदद की।” आपको बता दें महबूबा मुफ्ती की पार्टी PDP के 2 सांसदों ने भी मंगलवार को हुई वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया ।