Opinion – कश्मीर राजनीतिज्ञों के लिए केवल एक बाजार था, अब इनकी दुकानदारी बंद होगी

महाज्ञानियों को यह भी नही पता कि संविधान की धाराएं और IPC यानी भारतीय दंड संहिता की धाराएं अलग अलग बाते हैं ।

New Delhi, Aug 06 : ज्ञानियों पर जबरज्ञानी, फेसबुक पर विद्वत्ता पेल रहे हैं। कश्मीर मुद्दे पर धारा 370 लिखे जाने पर इनको ऐतराज भी है और अपने ज्ञान का गुमान भी । नसीहत दे रहे हैं कि धारा 370 लिखना गलत ही नही जुर्म है । धारा 370 लिखने वाले अज्ञानी , मूर्ख और न जाने क्या क्या हैं । ऐसे महाज्ञानियों ने फेसबुक पोस्ट लिखते हुए बाकी लोगो को हिकारत भेजी है , मानो संविधान के वे राजा हैं औऱ बाकी लोग चांडाल ।

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इन महाज्ञानियों को यह भी नही पता कि संविधान की धाराएं और IPC यानी भारतीय दंड संहिता की धाराएं अलग अलग बाते हैं । संविधान के अनुच्छेद को भी संविधान की धारा भी कहा जाता है । इस देश मे 40 हजार से अधिक कानून हैं और विषयवार धारा , उपधारा , अनुच्छेद , भाग , बन्ध , उपबन्ध जैसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है । और इन तकनीकी पहलू को जाने भी दीजिये , लेखक – वक्ता – प्रस्तोता का भाव तो आप समझ रहे हैं न । यह तो वही बात हुई कि उमर और आयु में आप अंतर खोज रहे हैं । अखबार भी तो धारा 370 धड़ल्ले से लिखते हैं। लेकिन महाज्ञानी लोगो को मौका चाहिए , दे झाड़ के ।

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कश्मीर प्रकरण पर एक बात और । राज्यसभा से बिल पास होते ही लोग कश्मीर में जमीन खरीदने , वहां का दामाद बनने / बनाने की इच्छा जताने लगे हैं । सीरियसली , यह तो करना पड़ेगा तभी वहां संतुलन होगा । जो कश्मीर गया है वह जानता है कि किस तरह कश्मीरियत के नाम पर वहाँ के मुसलमानो में अभारतीय होने का भाव पैदा किया गया है । मैं झारखंडी हूँ तो क्या , पहले मैं भारतीय हूँ । अब वहां जाकर यह भाव पैदा करना होगा कि जनाब आप पहले भारतीय हैं फिर कश्मीरी हैं । पाकिस्तान से आये लाखो वाल्मीकि समुदाय और विस्थापित कश्मीरी पंडितो को वहां पहले अधिकार मिले । फिर उनके कंधे से कंधा मिलाकर देश के दूसरे हिस्से के लोग वहां के विकास में योगदान दे ।

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कश्मीरियों ने अवैध रोहिंग्यो को वहाँ बसा रखा है । उनकी पहचान कर उन्हें खदेड़ने में यही बाल्मीकि , कश्मीरी पंडित और दूसरे हिस्सों से आने वाले भारतीय निपट सकेंगे । अधिकांश कश्मीरी मुसलमान या तो पाकिस्तान से अनुग्रहित हैं या विस्थापित पंडितो की संपत्ति पर कब्जा किये हुए लाभुक हैं । उन्हें देश और कश्मीरियत से अधिक 30 सालो से विस्थापित पंडितो की संपत्ति पर मजा भोगने से मतलब है । कश्मीर राजनीतिज्ञों के लिए केवल एक बाजार था । दुकानदारी खत्म हुई है । कश्मीर पर तीन राजनैतिक परिवारों का कब्जा था । ये पाकिस्तान का खौफ दिखाकर भारत से लगान वसूलते थे । अब धंधा मंदा हुआ है । देशव्यापी उत्सव वाले इस माहौल में महबूबा , उमर , फारुख , लोन , यासीन मलिक , रवीश कुमार , विनोद शर्मा , नीतिश कुमार , राजदीप सरदेसाई , दीपंकर भट्टाचार्य , लालू के लोग , हेमंत सोरेन जैसे लोगो की छटपटाहट देखकर मन गदगद हो रहा है । जनेऊधारी ब्राह्मण और माताश्री तो न जाने कहाँ लापता हो गए हैं। फिलहाल तो जश्न का दिन है। उसे तो मना लें।

(वरिष्ठ पत्रकार योगेश किसलय के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)