जातिय आरक्षण को लेकर RSS प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान, आ सकता है सियासी तूफान

मोहन भागवत ने कहा कि आरएसएस, बीजेपी और पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार तीनों का अलग अस्तित्व है, किसी एक के काम के लिये दूसरे को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।

New Delhi, Aug 19 : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत ने एक बार फिर से जातिय आरक्षण पर चर्चा करने की वकालत की है, उन्होने रविवार को कहा कि जो जातिय आरक्षण के पक्ष में हैं, और जो इसके खिलाफ हैं, उन्हें सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में इस पर विमर्श करना चाहिये, आपको बता दें कि 2015 बिहार विधानसभा चुनाव के पहले भी उन्होने जातिय आरक्षण के बजाय ऑर्थिक आरक्षण की वकालत की थी।

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क्या कहा मोहन भागवत ने
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि उन्होने जातिय आरक्षण पर पहले भी बात की थी, तब खूब बवाल मचा था, और पूरा विमर्श ही असली मुद्दे से भटक गया था, मोहन भागवत ने आगे बोलते हुए कहा कि जो जातिय आरक्षण के पक्ष में हैं, उन्हें इसका विरोध करने वालों के हितों को ध्यान में रखते हुए बोलना चाहिये, वहीं जो इसके खिलाफ हैं, उन्हें भी वैसा ही करना चाहिये।

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आरक्षण पर बहस
ज्ञान उत्सव के समापण सत्र में मोहन भागवत ने बोलते हुए कहा कि आरक्षण पर बहस का परिणाम हर बार तीव्र क्रिया और प्रतिक्रिया के रुप में देखा गया है, इस मुद्दे पर समाज के विभिन्न वर्गों में सौहार्द्र बनाने की जरुरत है, गौरतलब है कि इससे पहले संघ प्रमुख ने आरक्षण नीति की समीक्षा करने की वकालत की थी, जिसका विभिन्न राजनीतिक दलों और जातियों ने कड़ा विरोध किया था।

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बीजेपी पर क्या कहा
मोहन भागवत ने कहा कि आरएसएस, बीजेपी और पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार तीनों का अलग अस्तित्व है, किसी एक के काम के लिये दूसरे को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, मोदी सरकार पर संघ के प्रभाव को लेकर उन्होने कहा, चूंकि बीजेपी और सरकार में संघ के कार्यकर्ता भी हैं, और वो आरएसएस की सुनते हैं, लेकिन जरुरी नहीं कि वो हमारे हर विचार से सहमत हो ।