पाकिस्तान के होंगे 4 टुकड़े, सुब्रमण्यम स्वामी ने बताया पीओके पर ऐसे कब्जा करें पीएम मोदी

सुब्रमण्यम स्वामी ने पीएम मोदी को सुझाव देते हुए कहा कि अब भारत को यूएन से याचिका वापस लेने की दिशा में काम शुरु कर देना चाहिये।

New Delhi, Aug 25 : बीजेपी राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने बड़ा बयान दिया है, उन्होने कहा कि 1947 में जवाहर लाल नेहरु ने यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल (यूएनएससी) में जो याचिका डाली थी, उसे पीएम मोदी को वापस ले लेना चाहिये, इस याचिका के वापस लेते ही एलओसी की बाधाएं अवैध हो जाएंगी, फिर भारतीय फौज एलओसी पार कर मुजफ्फराबाद तक पहुंच जाएगी, हमारा कब्जा पीओके पर आसानी से हो जाएगा।

Advertisement

सेमिनार में बोल रहे थे
आपको बता दें कि बीजेपी सांसद स्वामी सांस्कृतिक गौरव संस्थान चंडीगढ के तत्वाधान में चंडीगढ के सेक्टर 10 स्थित डीएवी कॉलेज के सभागार में वेकेशन ऑफ पीओके पर आयोजित एक सेमिनार में बोल रहे थे, उन्होने कहा कि यदि पाकिस्तान अभी भी नहीं सुधरा, तो आने वाले समय में पाक के चार टुकड़े हो जाएंगे।

Advertisement

मोदी को सुझाव
सुब्रमण्यम स्वामी ने पीएम मोदी को सुझाव देते हुए कहा कि अब भारत को यूएन से याचिका वापस लेने की दिशा में काम शुरु कर देना चाहिये, ताकि हम पीओके पर अपना कब्जा जमा सकें, राज्यसभा सांसद ने कहा कि देश आजाद होने के बाद तत्कालीन सरकार कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में ले गई थी, वहां मध्यस्थता की बात उठी, तो यूएन ने जो हिस्सा भारत के पास था, वो भारत को दे दिया, जिस हिस्से पर पाक का कब्जा था, उस पर पाक ने कब्जा जमाये रखा।

Advertisement

किरण खेर से भी आग्रह
स्वामी ने आगे बोलते हुए कहा कि अब भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर से ऑर्टिकल 370 खत्म कर पीओके को भारत में शामिल करने का रास्ता खोल दिया है, उन्होने चंडीगढ सांसद किरण खेर से भी आग्रह किया, कि वो मोदी को यूएन से याचिका वापस लेने का सुझाव दें, बीजेपी सांसद ने कहा कि पाक के पीएम इमरान खान तो मोहरा हैं, देश को कोई और ही चला रहा है।

ऐसे खत्म हो गया अनुच्छेद 370
बीजेपी सांसद ने कहा कि मेरा गोत्र कश्यप है, कश्मीर को कश्यप लोगों ने बसाया था, इसलिये कश्मीर से मेरा बहुत पुराना नाता है, ये अनुच्छेद बहुत पहले खत्म हो जाना चाहिये था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका, अनुच्छेद 370 खत्म करने के लिये दो तिहाई बहुमत की जरुरत नहीं थी, ये अनुच्छेद इतना आसान था कि सिर्फ राष्ट्रपति की मुहर से ही खत्म हो जाता, केन्द्र सरकार ने ऐसा ही किया।