रानू मंडल के बदले-बदले से सुर ‘मुंबई जाकर रहना है’, वहीं बेटी ने बता दिया 10 साल पहले का राज
हमारे पास घर था लेकिन उसे चलाने के लिए लोगों की जरूरत होती है। कई दिन अकेलेपन के थे। मैंने बहुत संघर्ष किया लेकिन हमेशा से ही भगवान पर भरोसा रहा।-रानू मंडल
New Delhi, Sep 04: कभी रेलवे स्टेशन पर गाना गाने वालीं रानू मंडल आज रिकॉर्डिंग स्टूडियो में शान से मुस्कुराते हुए अपनी आवाज लोगों तक पहुंचा रही हैं । रानू को चंद घंटों में मिली ये शोहरत अचछे अच्छों के नसीब में नहीं होती । आज रानू का नाम करोड़ों लोग जानते हैं, उन्हें पहचानते हैं, वो किसी की मोहताज नहीं है । हाल ही में रानू ने अपने निजी जीवन को लेकर कुछ खुलासे किए । ये भी बताया कि उनकी अब ख्वाहिश क्या हैं, वो क्या करना चाहती हैं ।
मुंबई में घर लेना चाहती हैं रानू
रानू मंडल ने हाल ही में पत्रकारों से बात की । उन्होने कहा कि – ‘मेरे जीवन की कहानी बहुत लंबीहै। इस पर फिल्म भी बन सकती है। यह फिल्म बहुत ही खास होगी। मैं पांच छह गाने रिकॉर्ड कर चुकी हूं। बार-बार हवाई जहाज से मेरे घर से मुंबई आना कठिन है, इसलिए मैं मुंबई में अपना घर लेना चाहती हूं। हिमेश रेशमिया के साथ तीन गीत गा चुकी हूं। मैं मुंबई में ही रहना चाहती हूं।
फुटपाथ पर नहीं, अच्छे घर में जन्मी हूं : रानू
अपने बीते दिनों को याद करते हुए रानू मंडल ने कहा – ‘मैं फुटपाथ पर पैदा नहीं हुई थी। अच्छे परिवार से हूं लेकिन यह मेरी नियति थी कि मैं माता-पिता से महज 6 महीने की उम्र में ही अलग हो गई थी। दादी ने पालापोसा। हमारे पास घर था लेकिन उसे चलाने के लिए लोगों की जरूरत होती है। कई दिन अकेलेपन के थे। मैंने बहुत संघर्ष किया लेकिन हमेशा से ही भगवान पर भरोसा रहा। मैं लता मंगेशकर के गाने सीखती थी। मैंने उनसे रेडियो और कैसेट से सीखा।
मीडिया से बोली रानू मंडल की बेटी
वहीं रानू मंडल को लेकर उनकी बेटी पर सवाल उठ रहे हैं कि क्यों वो उन्हें इस हालत में छोड़कर चली गई थी । रानू की बेटी जिसका पूरा नाम एलिजाबेथ साथी रॉय है उसने IANS एजेंसी सेबात करते हुए कहा कि वो नहीं जानती थी कि मां रेलवे स्टेशन पर गाना गाकर अपना पेट पालती है। साथी ने बताया कि वह भले ही अपनी मां से रोजाना नहीं मिलती थी, लेकिन वह उनके टच में थी। रानू की बेटी ने कहा कि उससे जितना हो सका है, उतना उसने अपनी मां की मदद की है, क्योंकि उसकी अपनी भी परेशानियां हैं। वो भी सिंगल मदर है और खुद ही बामुश्किल अपना और बेटे का पेट पाल रही है ।
बताया मां को कैसे साथ दिया
एलिजाबेथ ने बताया कि ‘मैं कुछ महीने पहले धरमताला (कोलकाता) गई थी और मैंने अपनी मां को एक बस स्टैंड पर बिना वजह बैठे देखा। मैंने उन्हें 200 रुपये दिए और घर जाने के लिए कहा। जब भी पॉसिबल होता था, मैं अंकल के अकाउंट में उन्हें 500 रुपये भेजती थी। मेरा तलाक हो चुका है और मैं एक छोटी-सी दुकान चलाती हूं और वहीं पर ही रहती है। मैं सिंगल मदर हूं और मेरा एक छोटा बेटा भी है। इसलिए मेरी खुद की भी परेशानियां हैं। इसके बावजूद मुझसे जितना होता था, मैं उनकी मदद करती थी। मैंने उन्हें कई बार मेरे साथ रहने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। इसके बाद भी लोग मुझ पर आरोप लगा रहे हैं। लोग मेरे खिलाफ हैं। अब मैं किसके पास जाऊं?’