इतने करोड़ की संपत्ति छोड़ गये राम जेठमलानी, देश बंटवारे के समय शरणार्थी शिविर में गुजारी थी रातें

उम्र के जिस पड़ाव पर लोग कामकाज से दूर सामाजिक कार्यों या फिर भगवान की भक्ति में लीन होते हैं, या आराम करते हैं, उस उम्र में भी जेठमलानी मजबूती के साथ कोर्ट में मुकदमों की पैरवी करते थे।

New Delhi, Sep 08 : सुप्रीम कोर्ट के चर्चित वरिष्ठ वकील और लालू की पार्टी से राज्यसभा सांसद राम जेठमलानी का आज निधन हो गया, वो पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे, 95 वर्षीय जेठमलानी इस उम्र में भी काफी एक्टिव थे, अपने बेबाक बयानों की वजह से वो अकसर सुर्खियों में रहते थे, राजद से पहले वो बीजेपी में थे, जेठमलानी वाजपेयी सरकार में मंत्री भी रहे, उन्होने दो शादियां की थी, उनके परिवार में पत्नी के अलावा चार बच्चे हैं, आइये आपको बताते हैं कि राम जेठमलीना ने कितनी संपत्ति छोड़ी है।

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इतनी संपत्ति के मालिक
चुनाव आयोग को दी गई जानकारी के मुताबिक राम जेठमलानी के पास करीब 65 करोड़ (64 करोड़, 82 लाख, 55 हजार 305 रुपये) की संपत्ति थी, उनका 8 बैकों में खाता था, उनके पास करीब 8.31 करोड़ रुपये बैंक बैलेंस था, इसके साथ ही 47.17 करोड़ रुपये बॉन्ड और म्युचुअल फंड में इंवेस्ट किये हुए थे, जेठमलानी के पास अपनी कोई कार नहीं थी, उनके पास एक 5 लाख रुपये की रोलेक्स घड़ी, 3.5 लाख रुपये के कीमती रत्न 1.73 लाख रुपये के गहने थे, उनके पास हरियाणा के गुरुग्राम, मुंबई और पुणे में एक-एक घर हैं, जिसकी कीमत करीब 6 करोड़ रुपये है।

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आखिरी दिनों तक केस लड़ते रहे
उम्र के जिस पड़ाव पर लोग कामकाज से दूर सामाजिक कार्यों या फिर भगवान की भक्ति में लीन होते हैं, या आराम करते हैं, उस उम्र में भी जेठमलानी मजबूती के साथ कोर्ट में मुकदमों की पैरवी करते थे, उनकी इसी जिंदादिली पर सुप्रीम कोर्ट तक ने आश्चर्य जाहिर किया था, अगस्त 2016 में तत्कालीन सीजेआई टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने उनसे पूछ लिया था कि आप संन्यास कब ले रहे हैं, जिस पर उन्होने तुरंत पलटकर जबाव दिया था कि माई लॉर्ड आप मुझसे ये क्यों पूछ रहे हैं कि मैं कब मरने वाला हूं, जेठमलानी का आत्मविश्वास भरा जबाव सुन जज भी मुस्कुरा उठे।

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मोदी के विरोध में उतरे
कभी राम जेठमलानी की गिनती बीजेपी के दिग्गज नेताओं में होती थी, वो वाजपेयी सरकार में शहरी विकास मंत्रालय और कानून मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल चुके थे, 2014 लोकसभा चुनाव से पहले उन्होने नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाये जाने की खुलकर वकालत की थी, हालांकि 2016 में उनका मोहभंग हो गया, वो पार्टी और मोदी की नीतियों के खिलाफ खुलकर बोलने लगे, एक कार्यक्रम में उन्होने कहा था कि मोदी ने देश को काला धन के मामले में धोखा दिया है।