मोटर व्हीकल एक्ट- पहली बार कानून और शासन का खौफ लोगों में दिख रहा है

कुछ लोगों को कानून की इस सख्ती और जुर्माने की बढ़ी हुई राशि नागवार लग रही है। वे तरह-तरह के तर्क दे रहे हैं।

New Delhi, Sep 09 : आपातकाल के बाद पहली बार कानून और शासन का खौफ लोगों में दिख रहा है। यह खौफ नए मोटर वाहन अधिनियम के कारण है।नियमों का पालन नहीं करनेवालों के होश फाख्ता हैं। क्योंकि सख्ती के साथ और कस कर जुर्माना वसूला जा रहा है। न्यूनतम जुर्माना हज़ार रुपये है।

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जिस तरह से ड्राइविंग लाइसेंस, इंश्योरेंस,प्रदूषण जांच के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है, उससे यह कहा जा सकता है बड़ी तादाद में लोग कानून का पालन नहीं कर रहे थे। वैसे लोग अब बदहवास होकर दफ्तरों के दौड़ लगा रहे हैं। हालत यह है कि पटना के जिला परिवहन पदाधिकारी ( DTO ) को रविवार को भी ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के लिए अपना दफ्तर खोलना पड़ रहा है । तब हैरान हो जाना पड़ता है जब अधेड़-अधेड़ लोग लाइसेंस बनवाने के लिए लाइन में खड़े नजर नजर आते हैं। ये वे लोग हैं जो दशकों से वाहन चला रहे हैं। बगैर लाइसेंस के। उनके बाल-बच्चों ने भी यही सीखा होगा!

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कुछ लोगों को कानून की इस सख्ती और जुर्माने की बढ़ी हुई राशि नागवार लग रही है। वे तरह-तरह के तर्क दे रहे हैं। ये वही लोग हैं जो अनाधिकृत तरीके से सड़कों पर गाड़ी दौड़ा रहे हैं। चूड़ियों की तरह हाथ में हेलमेट पहन बाईक चलाते युवा सड़कों पर आपने भी देखे होंगे। अब उन्हें यह कौन बताये कि भाई सर में पहनने की चीज हाथ में क्यों पहने हो? ये वही लोग हैं जो अपने किशोर बच्चों को स्कूल जाने के लिए बाईक/स्कूटी खरीद कर देते हैं। इनके बच्चे लहरियाकट बाइक चलाकर दूसरों की जान सांसत में डालते हैं। खुद तो मरते ही हैं, दूसरों के लिए भी संकट बनते हैं। व्यस्त सड़क पर भी गतिसीमा का पालन करने में अपनी हेठी समझते हैं।

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ऐसे गैर जिम्मेवार और कानून भंजकों के कारण ही हमारा देश पूरी दुनिया में कलंकित हो रहा है। सड़क दुर्घटना में हर वर्ष डेढ़ से दो लाख लोगों की मौत देश में होती है। मरनेवालों की यह संख्या विश्व में सर्वाधिक है। ऐसे लोगों के कारण ही सड़क यात्रा आज सबसे ज्यादा असुरक्षित हो गई है। आप नियमों का पालन करते सड़क पर गाड़ी चला रहे हैं, फिर भी यह गारंटी नहीं है कि सुरक्षित गंतव्य तक पहुंच जायेंगे। क्योंकि नियमो को ठेंगे पर रखनेवाला कोई सिरफिरा कब, कहां आपसे आकर टकरा जायेगा, और आपको हॉस्पिटल पहुंचा देगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है। ऐसे लोगों के कारण सड़क पर पैदल चलनेवाले भी सुरक्षित नहीं हैं। यह पीड़ा वही समझ सकता है जिसने किसी अपने को सड़क दुर्घटना में खोया हो या अपंगता का शिकार हुआ हो।
जिनके कारण ऐसी दुर्घटनाएं होती हैं, क्या ऐसे लोगों के लिए कोई सहानुभूति होनी चाहिए? नियमों का पालन नहीं करने वालों को दंडित करना क्या अनुचित है?
खुद भी सुरक्षित रहिये और दूसरे भी सुरक्षित सड़क यात्रा करें इसके लिए जरूरी है कि यातायात नियमों का पालन करें। मोटर वाहन एक्ट का पालन करें। न सिर्फ अपने लिए बल्कि अपने बच्चों के लिए भी सड़क यात्रा को सुरक्षित बनायें।

(वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)