Opinion – ट्रैफिक की तरह ही भ्रष्टाचार के खिलाफ भी सजा में बढ़ोत्तरी जरुरी

सवाल है कि भ्रष्टाचार के कारण प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप से हर साल कितने लोगों की जानें जाती हैं ? निश्चित तौर पर डेढ़ लाख से काफी अधिक लोगों की जानें जाती हैं।

New Delhi, Sep 13 : यातायात नियमों के उलंघन पर जुर्माने की रकम में भारी वृद्धि की जरुरत महसूस की गई थी। नतीजतन जुर्माना बढ़ाया गया। काफी बढ़ा दिया गया। सरकार को लगा कि कम बढ़ाने से काम नहीं चलेगा। छिटपुट परेशानियों को छोड़कर इस कदम का आम तौर पर स्वागत ही हुआ है। उसी तरह भ्रष्टाचारियों के लिए भी सजा में बढ़ोत्तरी जरुरी मानी जा रही है।

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ट्रैफिक नियम भंग पर जुर्माने में हाल की बढ़ोत्तरी से पहले वाले जुर्माने का कोई असर नहीं हो रहा था। 2016 में देश भर में सड़क दर्घटनाओं में करीब डेढ़ लाख लोग मरे। उसी अवधि में बिहार में करीब 5 हजार लोगों की जानें गईं। याद रहे कि इस देश में भ्रष्टाचार के आरोप में दोषियों के लिए सामान्यतः तीन से सात साल तक की कैद की सजा का अभी प्रावधान है।
वह सजा बुरी तरह नाकाफी साबित हो रही है। पर, चीन में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप साबित हो जाने के बाद फांसी तक की सजा का प्रावधान है। हर साल डेढ़ लाख लोगों की जान जाने पर तो यातायात उलंघन के मामले में यहां सजा बढ़ा दी गई।

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पर, सवाल है कि भ्रष्टाचार के कारण प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप से हर साल कितने लोगों की जानें जाती हैं ? निश्चित तौर पर डेढ़ लाख से काफी अधिक लोगों की जानें जाती हैं। सिर्फ नकली और मिलावटी दवाओं के कारण बड़ी संख्या में लोगों की जानें जाती हैं। मिलावटी खाद्य व भोज्य पदार्थ और भी अधिक लोगों की जानें लेते हैं। भ्रष्टाचार के कारण मौतों के और भी उदाहरण दिए जा सकते हैं। संबंधित सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत के बिना इतने बडे़ पैमाने पर नकली सामान तैयार हो ही नहीं सकते जितने अपने देश में तैयार होते हैं।

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इस देश में अब कितने ऐसे सरकारी दफ्तर बचे हैं जहां बिना रिश्वत के लोगों के काम हो जाते हैं ? यदि भ्रष्टाचारियों के लिए सजा बढ़ा दी जाए तो उसका परोक्ष रुप से सकारात्मक असर यातायात-व्यवस्था पर भी पड़ेगा।

(वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र किशोर के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)