Opinion – कइसे कह दिए कि युवाओं में “जोग्यता” की कमी है

अब हमारा तो जनबे करते हो कि हम मुलायम के ज़माने के इंटर है और दो कमरे वाले प्राइवेट इंजीनियरिंग कालेज से बीटेक ।

New Delhi, Sep 17 : बीटेक बीएड एमबीए पीजीडीसीए किया हुआ वह युवक कल से ही फ़ेसबुक पर मंत्री संतोष गंगवार की कड़ी निंदा करते हुये लम्बी लम्बी पोस्ट्स लिख रहा था कि “कइसे कह दिए कि युवाओं में “जोग्यता” की कमी है । मैं उन को “चाइलेंज” करता हूँ कि सब से “पहिले” आ के हमारा टेस्ट ले और देखें कि कितना “जोग्य” है आप सभी का प्रिय भाई। फ़लाना जी उर्फ़ “टाईलेंटेड भइया, तभी एक फोन बजा।..

Advertisement

-कहाँ हो पाटनर ?
-पाटनर आया हूँ फ़लाना “डिपाटमेंट” में । कोई बता रहा था कि “सफ़ाई कर्मी” के भर्ती आने वाली है। वही आए थे कि अबकि ज़र जोगाड़ सब पहिले से ही लगा दिया जाए।
-अच्छा पाटनर, एक कम्पनी है जो पढ़े लिखे बेरोजगारों को छठी से आठवीं तक का ट्यूशन कोचिंग दिलाती है । कम्पनी का दावा है वो आपसे ट्यूशन कोचिंग में पढ़वा कर आप को एक सम्माजनक नौकरी के बराबर यानी कम से कम तीस चालीस हजार न्यूनतम मासिक कमवायेगी ही कमवाएगी ।

Advertisement

-अच्छा, किसी तरह हमारा भी करवा दो पाटनर, तुम तो जानते ही हो कि हम तो टेन्थ तक आल सबजेक्ट और इंटर की मैथ साइंस बायो सब बहुत अच्छे से पढ़ा लेते हैं, मेरे लिए तो बहुते सही रहेगा ये।
-इसी लिए तो फोन किए हैं पाटनर। असल में कम्पनी की एक शर्त है कि आप को जिस क्लास की ट्यूशन/कोचिंग पढ़ाना है कम्पनी के अधिकारी पहले आपसे उस क्लास का टेस्ट लेंगे । उस क्लास की पूरी किताब से कहीं से भी पूछ सकते हैं वो लोग । उस के बाद ट्यूशन दिलाएँगे। अब हमारा तो जनबे करते हो कि हम मुलायम के ज़माने के इंटर है और दो कमरे वाले प्राइवेट इंजीनियरिंग कालेज से बीटेक । सो हम तो कम्पनी का टेस्ट नहिये किलियर कर पाएँगे। बाकी तुम अपना देख लो।

Advertisement

-पाटनर हम भी नही किलियर कर पाएँगे, पता नही कहाँ से पूछ दे सरवा सब, सब भुला ओला गया है। छोड़ो ऊ सब लफड़ा। हम लोग अपना ख़ुद का पर्सनल ट्यूशन कोचिंग पढ़ाया जाए। दू पइसा कम मिलेगा लेकिन किसी के अंडर में तो काम नही करना पड़ेगा। आओ चलो एरिया के सब देवाल पर अपना परचार लिख दिया जाए।
-ठीक है पाटनर आ रहे।
-अगले दिन मोहल्ले वालों ने पाया कि सभी दीवालों पर लिखा था ,”टिवशन ही टिवशन” “छ से ले कर एगारह तक शभी विसय का टिवशन मात्र दौ शौ पचाश रुपिया महीना में पड़वाएं” । अपने बच्चों का भवीस्य उजवल बनाएँ । बच्चों को डाक्टर इनजियर प्रोफेशर बनाएँ। मात्र दौ शौ पचाश रुपिया महीना फिस में। वैसे कम्पनी का आफर अभी भी चालू है।

(व्यंग्यकार शैलेश त्रिपाठी के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)